Hul Diwas : आज 30 जून है। आज के दिन झारखंड समेत पूरे देश में हूल दिवस मनाया जाता है। यह दिवस जनजातीय वीर-वीरांगनाओं खास कर सिदो-कान्हू, चांद-भैरव तथा फूलो-झानो के बलिदान के लिए मनाया जाता है। इस दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जनजातीय वीर-वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि दी।
हूल दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, ‘मैं संथाल विद्रोह के सभी अमर सेनानियों को ‘हूल दिवस’ पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। अन्याय के विरुद्ध ऐतिहासिक युद्ध करने वाले सिदो-कान्हू, चांद-भैरव तथा फूलो-झानो जैसे वीरों और वीरांगनाओं के बलिदान की अमर गाथाएँ स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। उन क्रांतिवीरों के आदर्श, हम सभी देशवासियों के लिए, सदैव प्रेरणा-स्रोत बने रहेंगे।
Hul Diwas पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
वहीं हूल दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय वीर-वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि देते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘हूल दिवस हमारे आदिवासी समाज के अप्रतिम साहस, संघर्ष और बलिदान को समर्पित एक महान अवसर है। इस पावन दिवस पर सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो जैसे जनजातीय वीर-वीरांगनाओं को मेरी आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। ब्रिटिश साम्राज्य के अत्याचार के खिलाफ उनके स्वाभिमान और पराक्रम की कहानियां देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।’
जानिए क्यों मनाया जाता है Hul Diwas
दरअसल, 1857 में भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम से दो साल पहले 1855 में संथाल विद्रोह हुआ था। उस दौरान झारखंड के संथाल परगना में जनजातीय वीर-वीरांगनाओं ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठाए थे। वीर सिद्धु-कान्हू ने हजारों संथाली वीरों को एकजुट किया और पूरी ताकत से अंग्रेजों से मुकाबला किया। इस विद्रोह में जनजातीय वीर-वीरांगनाओं के बलिदान को विस्मरणीय बनाने के लिए हूल दिवस मनाया जाता है।