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जमशेदपुर :  टाटा-हाता मेन रोड़ पर ट्रक दुर्घटनाग्रस्त, बड़ा हादसा टला

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जमशेदपुर :  टाटा-हाता मेन रोड़ पर मंगलवार की सुबह एक ट्रक अनियंत्रित होकर गीतिलता में एक घर में घुसने से बच गया, अन्यथा एक बड़ा हादसा हो सकता  था। घटना के बाद स्थानीय लोग एकजूट हो गए थे। हालाकि मकान को किसी तरह का नुकसान नहीं होने पर लोगों का गुस्सा जल्द ही शांत हो गया। चालक और खलासी दोनों ही पकड़े गए थे, लेकिन दोनों को दंडित करने के बाद छोड़ दिया गया।
स्पीड ब्रेकर बना कारण
ट्रक दुर्घटना के बारे में बताया गया जा रहा है कि गीतिलता में स्पीड ब्रेकरों की संख्या ज्यादा होने के कारण इस तरह की घटना घटी है। सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर ही यहां पर 5 की संख्या स्पीड ब्रेकर बनाए गए हैं।

 

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सेना, धर्म और धर्मनिरपेक्षता:जहां MMG सिर्फ मीडियम मशीन गन नहीं, मंदिर-मस्जिद और गुरुद्वारा भी है

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  • सेना में धर्म का इस्तेमाल एक धर्म या इलाके के लोगों को एक साथ लाने या फिर एक ईश्वर से प्रेरणा लेने के लिए होता है
  • सेना की बटालियन भले धर्म-प्रांत पर आधारित हैं, पर सेना धर्मनिरपेक्ष है, वो सैनिकों को भारत माता से ही जोड़ते हैं

देश में इन दिनों त्यौहारों का मौसम है। नवरात्र में कई हिंदू व्रत रखते हैं। वैसे तो मैं व्रत नहीं रखता, लेकिन जब अपनी रेजिमेंट के जवानों के साथ पोस्टेड था तो चाहे नवरात्र हो या रमजान में व्रत और रोजे दोनों रखता था। मेरे या किसी भी आर्मी ऑफिसर के लिए उसके धर्म से ज्यादा जो अहम है, वो बतौर सैनिक उसकी ड्यूटी, उसकी जिम्मेदारी, अपने सैनिकों के साथ एकजुटता है। मैं जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री रेजिमेंट से हूं। मेरी रेजिमेंट में हर धर्म के सैनिक हैं। और हम सब साथ रहते हैं, ट्रेनिंग लेते हैं, हंसते, खेलते और खुशी-खुशी मौत को गले लगा लेते हैं। ये मॉडल अपने आप में अद्भुत और अनुकरणीय है।

भारतीय सेना दुनिया की असाधारण सेना है, जिसकी लड़ाकू पैदल सेना की संरचना धर्म और धार्मिक मान्यताओं के आसपास हुई है, लेकिन सेना खुद में धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक-सांप्रदायिक एकता का चमकता हुआ उदाहरण है। सेना में धर्म का इस्तेमाल एक धर्म या इलाके के लोगों को एक साथ लाने या फिर एक ईश्वर से प्रेरणा लेने के लिए होता है। सैनिक उसे भारत माता से जोड़कर देखता है। और भारतीय सैनिक देश के लिए अपना सबकुछ कुर्बान करने को राजी हो जाता है।

हमारी रेजिमेंट सैनिकों को एक उद्देश्य हासिल करने के लिए अलग-अलग बैटल क्राय यानी नारे और अलग-अलग मजहब से जोड़ती हैं। रेजिमेंट का बैटल क्राय भले, आयो गोरखाली, बद्री विशाल की जय या फिर भारत माता की जय हो। ये सभी सैनिकों के शौर्य और त्याग को भारत माता से ही जोड़ते हैं। यही वजह है कि धर्म और इलाकों के नाम पर लड़ाई की जगह सेना एक ऐसा स्ट्रक्चर है जो अलग-अलग धर्म और इलाकों को एकजुट करता है।

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बायजू रवींद्रन का कॉलम:शोध बताते हैं कि लर्निंग के नतीजों को मापने के लिए लगातार मूल्यांकन, समय-समय पर होने वाली परीक्षाओं से बेहतर तरीका है

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बायजू रवींद्रन का कॉलम – बच्चों के सीखने का तरीका शायद 100 साल में पहली बार बदल रहा है। स्मार्टफोन और डिवाइस फिजिकल क्लास की अस्थायी गैर-मौजूदगी में लर्निंग का प्राथमिक साधन बनकर उभरे हैं। इस प्रकिया में अपने सीखने का रास्ता बनाने के लिए छात्र नई विधियां खोज रहे हैं। अब लर्निंग छात्र-केंद्रित हो रही है और बच्चे खुद सीखने की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं।

द हार्वर्ड स्कूल ऑफ ग्रैजुएट एजुकेशन का शोध बताता है कि छात्र-केंद्रित लर्निंग ऐसे लर्नर बनाती है, जो जीवनभर सीखते हैं। साथ ही यह कक्षा में हर छात्र की जरूरत को शामिल करती है। यह बताता है कि जब छात्रों का लर्निंग पर ज्यादा नियंत्रण होता है, तो वे सीखने में ज्यादा रुचि लेते हैं और ज्ञान की प्यास बनाए रखने के नए तरीके तलाशते हैं।

जब बच्चे दुनिया को समझने के लिए अपनी जिज्ञासा का इस्तेमाल करते हैं जो उनकी लर्निंग बनी रही है और उसका ज्यादा असर होता है। इससे बाद में उन्हें अपने पेशेवर जीवन को आकार देने में भी मदद मिलती है। दुनिया में सबसे बड़ा के12 एजुकेशन सिस्टम भारत में है, इसिलए भारतीय युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करना बतौर देश हमारा मुख्य कार्य होना चाहिए।

करीब 26 करोड़ स्कूल एनरोलमेंट के साथ हम दुनिया की सबसे युवा वर्कफोर्स बनने की क्षमता रखते हैं। फिर भी इस जानसांख्यकीय लाभ को पाने के लिए हमें कुछ जमीनी तैयारी करने की जरूरत है। यह बहुत जरूरी होगा कि आने वाले एक दशक में हम अपने शिक्षा तंत्र को कैसे आकार देते हैं और युवाओं को सशक्त करते हैं। इससे ही देश की आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित हो पाएगी।

हाल ही में आई इंडिया स्किल रिपोर्ट के मुताबिक देश में अभी 47% से भी कम छात्र रोजगार-योग्य हैं। इसका एक मुख्य कारण है हमारे पाठ्यक्रम परीक्षाओं के दृष्टिकोण से तैयार किए गए हैं। छात्रों को सवालों के जवाब देने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जब बच्चे अंक पाने के उद्देश्य से परीक्षा में बैठते हैं तो वे रटने पर निर्भर हो जाते हैं और आखिरकार अपनी लर्निंग भूल जाते हैं। दूसरी तरफ अगर बच्चे जो सीखते हैं, उसका अनुभव भी करते हैं तो वे कंसेप्ट को बेहतर ढंग से समझते हैं और उनके अंक अपने आप आते हैं। बच्चों को लर्निंग से प्यार हो, इसके लिए एडटेक इंडस्ट्री कुछ काम कर सकती है।

US प्रेसिडेंट से जुड़े 9 रोचक तथ्य:4 बार राष्ट्रपति रहे रूजवेल्ट, बिना चुनाव जीते मुकद्दर के सिकंदर बने फोर्ड

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अमेरिका में अंतिम वोटिंग हुए दो दिन हो चुके हैं। काउंटिंग चल रही है। डेमोक्रेट जो बाइडेन, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से आगे चल रहे हैं। ट्रम्प सुप्रीम कोर्ट जाने की बात भी कह चुके हैं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ट्रम्प 2016 की तर्ज पर चौंका सकते हैं, जीत सकते हैं। उन्हें खारिज नहीं किया जा सकता। हम यहां आपको अमेरिका में अब तक हुए राष्ट्रपतियों के बारे में कुछ रोचक तथ्य बता रहे हैं।
 

1. ट्रम्प 44वें राष्ट्रपति

ट्रम्प अमेरिका के 45वें नहीं बल्कि, 44वें राष्ट्रपति हैं। दरअसल, ग्रोवर क्लीवलैंड 1884 में चुनाव जीते और राष्ट्रपति बने। 1888 में वे हारे और फिर 1892 में राष्ट्रपति बने। यानी बतौर क्लीवलैंड के कार्यकाल दो थे, लेकिन साल अलग-अलग था। ‘टर्म इन ऑफिस’ रूल के तहत उन्हें दो बार गिना जाता है। लेकिन, बतौर इंडिविजुअल क्लीवलैंड एक ही थे। वे 22वें और 24वें राष्ट्रपति रहे।

2. 4 बार प्रेसिडेंट रहे रूजवेल्ट
1945 में 22वें संविधान संशोधन के पहले तक अमेरिका में यह तय नहीं था कि एक व्यक्ति कितनी बार राष्ट्रपति बन सकता है। फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट ने 1933 से 1945 तक तीन टर्म पूरे किए। चौथी बार भी जीते। लेकिन, कुछ दिन बाद मौत हो गई।

3. सबसे कम और सबसे ज्यादा उम्र के राष्ट्रपति
जॉन एफ कैनेडी 43 साल की उम्र में राष्ट्रपति बने। संविधान के मुताबिक, राष्ट्रपति बनने के लिए आयु 35 साल होना चाहिए। रोनाल्ड रीगन जब दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए तब उनकी उम्र 73 साल थी। बाइडेन जीते तो यह रिकॉर्ड टूट जाएगा। 20 जनवरी को अगर वे शपथ लेते हैं तो उस वक्त उनकी उम्र 78 साल से ज्यादा होगी। 20 नवंबर को वे 78 साल के हो जाएंगे।

डोनाल्ड ट्रंप की घर वापसी

CAIR एग्जिट पोल:69% अमेरिकी मुस्लिमों ने जो बाइडेन को वोट दिया, ट्रम्प के पक्ष में महज 17%

 

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव:नतीजों में देरी के कारण समर्थकों कई शहरों में हिंसक झड़प; व्हाइट हाउस के बाहर प्रदर्शन

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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के आखिरी नतीजों में देरी के कारण कई शहरों में दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। वॉशिंगटन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ अश्वेतों का आक्रोश दिखाई दिया। यहां हजारों लोग व्हाइट हाउस के पास ब्लैक लाइव मैटर प्लाजा पर एकजुट हुए। पिछले कुछ दिनों से यह जगह अश्वेतों के आंदोलन का प्रमुख स्थान बना हुआ है। इन लोगों ने ट्रम्प के खिलाफ नारे लगाए। सड़कें जाम कीं और पटाखे फोड़े।

इनमें से कई लोगों की पुलिस से झड़प हो गई। वॉशिंगटन की मेयर मुरियल बॉउसर ने कहा, ‘कुछ लोगों ने जानबूझकर अफरा-तफरी फैलाने की कोशिश की।’ इधर, सिएटल में प्रदर्शनकारियों ने ट्रैफिक रोक दिया। पुलिस ने यहां दो गुटों में हिंसक झड़प के बाद आठ लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने कहा कि कुछ लोगों ने हमारे एक अधिकारी पर हमला किया था।

न्यूयॉर्क में लोग नारे लगा रहे थे- ‘हमें इंसाफ नहीं मिला तो किसी को शांति नहीं मिलेगी।’ प्रदर्शनकारियों के पोस्टरों पर लिखा था-‘ट्रम्प हमेशा झूठ बोलते हैं।’ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया। यहां हिंसा की आशंका के बीच सैकड़ों दुकानें बंद रहीं। दूसरी ओर प्रशासन ने सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट जारी किया है। एजेंसियों से कहा गया है कि पूरे नतीजे घोषित होने के बाद स्थिति बिगड़ सकती है।

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CAIR एग्जिट पोल:69% अमेरिकी मुस्लिमों ने जो बाइडेन को वोट दिया, ट्रम्प के पक्ष में महज 17%

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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में इस बार मुस्लिम वोटर्स ने रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग की है। ज्यादातर की पहली पसंद डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन रहे। काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन (CAIR) के एग्जिट पोल में यह दावा किया गया है।

संगठन ने मंगलवार रात पोल के नतीजे घोषित किए। इसके मुताबिक, कुल 89% मुस्लिमों ने चुनाव में वोट डाले। इनमें से 69% ने जो बाइडेन को वोट दिया। महज 17% ने डोनाल्ड ट्रम्प पर भरोसा जताया। इस पोल में कुल 844 रजिस्टर्ड मुस्लिम वोटर्स ने हिस्सा लिया।

ट्रम्प को 4% ज्यादा समर्थन

2016 के चुनाव की तुलना में इस बार ट्रम्प को 4 प्रतिशत ज्यादा समर्थन मिला है। 4 साल पहले उन्हें 13 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले थे। CAIR के नेशनल एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर निहाद अवाद ने कहा कि संगठन अमेरिका के 1 लाख से ज्यादा मुस्लिमों का शुक्रिया अदा करता है। उन्होंने इस चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग की। मुस्लिम समुदाय पूरे देश में चुनाव नतीजों पर असर डालने की क्षमता रखता है। इसीलिए इसे उम्मीदवारों और मीडिया में काफी तवज्जो मिली।

CAIR डायरेक्टर ऑफ गवर्नमेंट अफेयर्स रॉबर्ट एस. मैकॉ का कहना है कि मुस्लिम वोट देते हैं। लोकल, स्टेट और नेशनल लेवल की राजनीति में हमारे समुदाय की भूमिका से कोई नकार नहीं सकता। अब समय आ गया है कि हम जिन नेताओं को चुनते हैं, उन्हें सभी अमेरिकियों के नागरिक और धार्मिक अधिकारों को बरकरार और सुरक्षित रखने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए।

क्या है CAIR

CAIR अमेरिका का सबसे बड़ा मुस्लिम सिविल राइड्स एंड एडवोकेसी ऑर्गेनाइजेशन है। इसका मकसद इस्लाम की समझ को बढ़ाना, नागरिक अधिकारों की रक्षा करना, न्याय को बढ़ावा देना और अमेरिकी मुसलमानों को मजबूत बनाना है।

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कोहली की कप्तानी पर सवाल:गंभीर ने कहा- विराट को हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, RCB को नए कैप्टन की जरूरत

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पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने कहा है कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को नए कप्तान की जरूरत है। शुक्रवार को बेंगलुरु के IPL से बाहर होने के बाद उन्होंने ईएसपीएन क्रिकइन्फो से कहा, ‘बिना ट्रॉफी के 8 साल बेहद लंबा वक्त होता है। कप्तान को अपने टीम के लिए जवाबदेह होना चाहिए। मुझे लगता है कि कोहली को हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। साथ ही RCB को भी कोहली के ऑप्शन की तलाश करनी चाहिए।’

कोहली को टीम मैनेजमेंट से बात करनी चाहिए

गंभीर ने कहा कि कोई भी ऐसा कप्तान नहीं है जो इतने लंबे वक्त तक खेला हो, लेकिन ट्रॉफी नहीं जीती हो। साथ ही टीम ने भी उसे बार-बार मौके दिए हों। उन्होंने कहा, ‘जिम्मेदारी लेना सबसे बड़ी बात होती है। मेरी कोहली से कोई दुश्मनी नहीं है, लेकिन उन्हें अब टीम मैनेजमेंट से बात करनी चाहिए।’

धोनी-रोहित ने अपनी-अपनी टीमों को जिताया

गंभीर ने कहा, ‘रविचंद्रन अश्विन ने 2 सालों तक किंग्स इलेवन पंजाब की कप्तानी की। लेकिन वह टीम के लिए डिलीवर नहीं कर पाए और टीम ने उन्हें हटा दिया। हम धोनी की बात करते हैं, हम रोहित की बात करते हैं। इन दोनों ने अपनी-अपनी टीमों को कई बार IPL खिताब जिताए हैं, तभी वे इतने लंबे समय तक अपनी-अपनी टीमों के कप्तान रहे। अगर वह अपनी टीम के लिए डिलीवर नहीं करते, तो उन्हें भी इतनी बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई होती।’

कप्तान की आलोचना होनी चाहिए

गंभीर ने कहा, ‘अगर कप्तान को टीम के जीतने पर क्रेडिट दिया जाता है, तो आलोचना भी आपकी ही होनी चाहिए। मुझे नहीं लगता कि RCB इस सीजन में ट्रॉफी डिजर्व करती थी। पिछले 5 मैचों में टीम ने बेहद खराब प्रदर्शन किया। मुंबई इंडियंस के खिलाफ सुपर ओवर में भी नवदीप सैनी की बेहतरीन बॉलिंग की वजह से जीते। वहीं, एबी डिविलियर्स की वजह से वे 2 से 3 मैच जीते।’

फ्रेंचाइजी मालिकों को भी करना चाहिए विचार

गंभीर ने कोहली को ओपनिंग के लिए भेजे जाने की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘अगर कोहली को ओपनिंग ही करनी थी, तो ये काम उन्हें टूर्नामेंट की शुरुआत से ही करनी चाहिए थी। इसके आधार पर वह टीम बनाते और मिडिल ऑर्डर बैट्समैन चुनते। फ्रेंचाइजी के मालिकों की कुछ जिम्मेदारी होनी चाहिए। मुझे नहीं लगता कोहली जिम्मेदारी लेंगे और कहेंगे कि उन्हें कप्तानी छोड़नी है। मुझे लगता है कि फ्रेंचाइजी मालिकों को इसपर सोचना चाहिए।’

सेट स्टैंडर्ड पर खड़े नहीं उतर सके कोहली

वहीं, लीजेंड सुनील गावस्कर ने भी कोहली को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि कोहली ने क्रिकेट में अपने लिए जो स्टैंडर्ड सेट कर रखे हैं, वो उनपर खड़े नहीं उतर सके हैं। शायद यह RCB के टूर्नामेंट से बाहर होने की एक वजह हो सकती है। क्योंकि वह जब भी बड़े स्कोर करते हैं, तो टीम भी बड़े स्कोर खड़ी करती है।

हैदराबाद ने बेंगलुरु को 6 विकेट से हराया

बता दें कि बेंगलुरु का सीजन में सफर शुक्रवार को खत्म हो गया। उन्हें सनराइजर्स हैदराबाद ने एलिमिनेटर में 6 विकेट से हराया। बेंगलुरु की टीम कभी भी IPL ट्रॉफी नहीं जीत पाई है। टीम ने 2009 में अनिल कुंबले और 2011 में डेनियल विटोरी की कप्तानी में फाइनल खेला था। 2016 में विराट की कप्तानी में भी टीम फाइनल में पहुंची। हर बार बेंगलुरु को हार का सामना करना पड़ा। 2016 में तो फाइनल में बेंगलुरु को हैदराबाद ने ही हराया था।

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कॉरपोरेट रिजल्ट:सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 161 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ, सितंबर तिमाही में 20% बढ़ा प्रॉफिट

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  • बैंक की कुल आमदनी सितंबर तिमाही में करीब 2% बढ़कर 6,833.94 करोड़ रुपए रही
  • बैंक का ऑपरेटिंग प्रॉफिट इस दौरान 42.16% उछाल के साथ 1,458 करोड़ रुपए रहा

सेंट्रल बैंक ऑफ इडिया ने शुक्रवार को कहा कि इस कारोबारी साल की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में उसका शुद्ध लाभ 20 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 161 करोड़ रुपए का रहा। एक साल पहले की समान तिमाही में बैंक ने 134 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया था। बैंक की कुल आमदनी इस दौरान करीब 2 फीसदी बढ़कर 6,833.94 करोड़ रुपए रही, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 6,703.71 करोड़ रुपए थी।

बैंक का ऑपरेटिंग प्रॉफिट इस दौरान 42.16 फीसदी उछाल के साथ 1,458 करोड़ रुपए रहा, जो एक साल पहले 1,026 करोड़ रुपए था। बैंक का ग्रॉस NPA घटकर ग्रॉस एडवांस के 17.36 फीसदी पर आ गया, जो एक साल पहले की समान तिमाहीमें 19.89 फीसदी पर था। नेट NPA घटकर 5.60 फीसदी पर आ गया, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 7.90 फीसदी पर था।

नेट इंटरेस्ट मार्जिन 2.82% से बढ़कर 3.35% पर पहुंच गया

बैड लोन और कंटिंजेंसीज के लिए बैंक का प्रॉविजन सितंबर तिमाही में बढ़कर 1,104.92 करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 791.33 करोड़ रुपए था। इस दौरान प्रॉविजन कवरेज रेश्यो सुधर कर 82.24 फीसदी पर पहुंच गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 76.68 फीसदी था। बैंक का नेट इंटरेस्ट मार्जिन बढ़कर 3.35 फीसदी पर पहुंच गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 2.82 फीसदी पर था।

बैंक ऑफ इंडिया को दोगुने से ज्यादा का शुद्ध लाभ

बैंक ऑफ इंडिया को दोगुने से ज्यादा का शुद्ध लाभ हुआ। इस साल सितंबर तिमाही में बैंक का कंसॉलिडेटेड शुद्ध लाभ 543.47 करोड़ रुपए रहा, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 257.31 करोड़ रुपए था। टोटल इनकम इस दौरान बढ़कर 12,477.79 करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 12,062.55 करोड़ रुपए था। स्टैंडअलोन आधार पर बैंक का शुद्ध लाभ इस दौरान 266.37 करोड़ रुपए से बढ़कर 525.78 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का शुद्ध लाभ 55% बढ़ा

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का शुद्ध लाभ सितंबर तिमाही में 55.3 फीसदी बढ़कर 517 करोड़ रुपए रहा, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 333 करोड़ रुपए था। बैंक का नेट इंटरेस्ट इनकम इस दौरान 6.1 फीसदी बढ़कर 6,293 करोड़ रुपए रहा, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 5,934 करोड़ रुपए था। बैंक का ग्रॉस NPA रेश्यो घटकर इस दौरान 14.71 फीसदी पर आ गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 15.75 फीसदी था। नेट NPA भी 6.40 फीसदी से घटकर इस दौरान 4.13 फीसदी पर आ गया।

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इस महीने में 13 हजार करोड़ का निवेश: शेयर बाजार में FII के शुद्ध निवेश का 13 सालों का टूट सकता है रिकॉर्ड

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विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) इस महीने में देश के शेयर बाजार में पिछले 13 सालों में किसी एक महीने में सबसे ज्यादा निवेश का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं। इस महीने के महज 5 कारोबारी दिन में ही FII ने 13,399 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया है। शुद्ध निवेश वह होता है जो शेयर में निवेश करने और फिर शेयर बेचने के बाद बना रहता है।

हर दिन निवेश किया

नवंबर में हर दिन FII ने शुद्ध निवेश किया है। इसमें सबसे ज्यादा निवेश गुरुवार को किया गया है जो 5,368 करोड़ रुपए रहा है। शुक्रवार को 4,869 करोड़ रुपए, बुधवार को 146 करोड़, मंगलवार को 2,274 करोड़ और सोमवार को 740 करोड़ का निवेश किया गया है। वैसे 2007 अप्रैल से अब तक किसी एक महीने में सबसे अधिक शुद्ध निवेश का रिकॉर्ड FII के नाम मार्च 2019 में रहा है जिसमें 32,371 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया गया था।

5 दिन में 13,300 करोड़ का निवेश

चालू महीने में महज 5 दिन में ही आंकड़ा 13,300 करोड़ से ऊपर है। ऐसे में अभी अगले 15 कारोबारी दिन में मार्च 2019 का आंकड़ा पीछे छूट सकता है। नवंबर महीने में बाजार में जबरदस्त तेजी है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स जहां 2,279 अंक बढ़कर बंद हुआ, वहीं लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 163 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया है। साथ ही अमेरिका में जो बाइडेन की जीत की उम्मीद भी बढी है।

अनलॉक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं

कोरोना में अब अनलॉक के दौरान आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में विदेशी निवेशक भारतीय इक्विटी बाजार में लगातार खरीदी कर रहे हैं। एक्सचेंज के आंकड़ों से पता चलता है कि एफआईआई ने सबसे ज्यादा खरीदी जिन महीनों में की है उसमें मई 2020 में 13,914 करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदी की है। नवंबर 2019 में 12,924 करोड़, अक्टूबर 2018 में 29,201 करोड़, मार्च 2017 में 26,473 करोड़, मार्च 2016 में 24,201 करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदी की है।

मार्च 2014 में 25 हजार करोड़ के शेयरों की खरीदी

इसी तरह मार्च 2014 में 25,376 करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदी की तो अक्टूबर 2013 में 17,355 करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदी एफआईआई ने की है। जनवरी 2013 में 19,197 करोड़ रुपए मूल्य के शेयरों की खरीदी की गई है। सितंबर 2012 में 20,807 करोड़ रुपए, सितंबर 2010 में 22,475 करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदी की गई है।

मार्च 2017 में 1.53 लाख करोड़ का निवेश

सबसे ज्यादा निवेश की बात करें तो मार्च 2017 में कुल 1.53 लाख करोड़ का निवेश एफआईआई ने किया था लेकिन इसके एवज में 1.26 लाख करोड़ रुपए का शेयर बेचा भी था। मई 2017 में 1.23 लाख करोड़ का शेयर खरीदा और इतने का ही शेयर बेचा था। नवंबर 2017 में कुल 1.33 लाख करोड़ का शेयर खरीदा और 1.45 लाख करोड़ के शेयरों को बेच दिया। जनवरी 2018 में 1.34 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया तो 1.24 लाख करोड़ रुपए का शेयर बेच भी दिया।

मार्च 2019 में 1.43 लाख करोड़ का निवेश

मार्च 2019 में 1.43 लाख करोड़ का शेयर खरीदा और 1.11 लाख करोड़ का शेयर बेच दिया जबकि नवंर 2019 में 1.49 लाख करोड़ का शेयर खरीद कर 1.36 लाख करोड़ रुपए मूल्य के शेयर को बेच दिया। सबसे ज्यादा किसी एक महीने में निकासी इसी साल मार्च में की गई जब देश में लॉकडाउन हुआ। इस महीने में शुद्ध रूप से एफआईआई ने 65,816 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे। हालांकि इस साल जनवरी से ही एफआईआई ने शेयर बेचना शुरू कर दिया था।

बाजार के जानकारों के मुताबिक एफआईआई का निवेश का रुझान भारतीय बाजार में आगे भी जारी रह सकता है।

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IPL के बीच नटराजन को दोहरी खुशी:सनराइजर्स हैदराबाद के यार्कर स्पेशलिस्ट पिता बने, टीम क्वालिफायर-2 में पहुंची

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हैदराबाद के यॉर्कर स्पेशलिस्ट टी नटराजन को दोहरी खुशी मिली। उनकी पत्नी पवित्रा नटराजन ने बच्चे को जन्म दिया। दूसरी ओर उनकी टीम सनराइजर्स हैदराबाद ने एलिमिनेटर में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को हराकर क्वालिफाई टू में जगह बनाई। जहां उनका मुकाबला दिल्ली से होगा। नटराजन ने 2018 जून में पवित्रा से शादी की थी।

नटराजन ने मुंबई के खिलाफ मैच में टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 4 4 ओवर में 33 रन देकर दो विकेट लिए। टी नटराजन ने इस अाईपीएल के खेले15 मैचों में 8.20 इकोनॉमी रेट से 16 विकेट लिए हैं। आईपीएल में अब तक खेले 21 मैचों में 8.20 की इकोनॉमी रेट से 18 विकेट लिए हैं।

हैदराबाद रही है तीन बार चैम्पियन

हैदराबाद ने 3 बार (2009, 2016 और 2018) फाइनल में जगह बनाई और 2 बार (2009 और 2016) खिताब अपने नाम किया। वहीं, बेंगलुरु ने 2009 में अनिल कुंबले और 2011 में डेनियल विटोरी की कप्तानी में फाइनल खेला था। 2016 में विराट की कप्तानी में भी टीम फाइनल में पहुंची। हर बार बेंगलुरु को हार का सामना करना पड़ा। 2016 में तो फाइनल में बेंगलुरु को हैदराबाद ने ही हराया था।

 

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