Paper Leak : नालंदा फिर बना पेपर लीक का हॉटस्पॉट, रंजीत डॉन से संजीव मुखिया की जड़ें यहीं

भारत में पिछले 25 सालों में पेपर लीक के कई ऐसे मामले सामने आए, जिसके तार नालंदा से जुड़े हुए थे। यहां के मास्टरमाइंड रंजीत डॉन और संजीव मुखिया की कहानी राष्ट्रीय मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं। अ

डिजीटल डेस्क : Paper Leak नालंदा फिर बना पेपर लीक का हॉटस्पॉट, रंजीत डॉन से संजीव मुखिया की जड़ें यहीं। शिक्षा को लेकर बिहार के नालंदा की पहचान वैश्विक है। इसका जिक्र इतिहास के कई पन्नों में मिलते हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करने पहुंचे थे और तमाम देशों के राजदूतों की मौजूदगी में उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बिहार के नालंदा के अवदानों का विस्तार से अपने संबोधन में जिक्र किया था। सियासी तौर पर भी देखें तो बीते कुछ दशकों से इसकी पहचान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वजह से भी बनी। सीएम नीतीश कुमार नालंदा के कल्याणबिगहा के रहने वाले हैं। इन दोनों बातों को छोड़ दिया जाए, तो नालंदा की एक पहचान और है। वह पहचान है- पेपर लीक के एपिक सेंटर के रूप में। जी हां, नीट यूजी 2024 के पेपर लीक में फिर से यही नाम लगातार सुर्खियों में है।

नीट पेपर लीक मास्टरमाइंड संजीव मुखिया उर्फ लूटन नालंदा का ही है

नीट पेपर लीक में बिहार ईओयू ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को शनिवार को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसके बाद से सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है और चर्चा का केंद्र बना हुआ है कि आखिर बिहार का नालंदा जिला पेपर लीक का हॉटस्पॉट कैसे बन जा रहा है। 2024 के नीट पेपर लीक का मास्टरमाइंड संजीव मुखिया उर्फ लूटन को बताया जा रहा है। बिहार आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिक नीट का पेपर सबसे पहले संजीव के पास ही आया था। संजीव ने ही उस पेपर को 10-15 अभ्यर्थियों को बांटा था। संजीव नालंदा के नगरनौसा का रहने वाला है और पेपर लीक के जुर्म में वर्ष 2015 में गिरफ्तार भी हो चुका है। हालांकि, नीट पेपर लीक मामले में अब तक वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है। उसका नाम वर्ष 2012 में फूड इंस्पेक्टर के पेपर धांधली में सबसे पहले पुलिस के रडार पर आया था और उसके गिरोह के कई सदस्य उस परीक्षा में गिरफ्तार हुए थे। संजीव की कुंडली खंगाल रही बिहार ईओयू टीम के मुताबिक, संजीव का बेटा शिव कुमार डॉक्टर है, जबकि उसकी पत्नी गांव की मुखिया रही है। संजीव के बारे में जांच एजेंसी और सबूत जुटा रही है। साथ ही आर्थिक अपराध शाखा उसे गिरफ्तार करने के लिए लगातार सभी संभावित ठिकानों पर छापामारी में जुटी हुई है।

25 सालों से पेपर लीक मामलों में हर बार सुर्खियों में आया नालंदा

भारत में पिछले 25 सालों में पेपर लीक के कई ऐसे मामले सामने आए, जिसके तार नालंदा से जुड़े हुए थे। यहां के मास्टरमाइंड रंजीत डॉन और संजीव मुखिया की कहानी राष्ट्रीय मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं। अब नए सिरे नालंदा नीट परीक्षा के पेपर लीक को लेकर चर्चा में है। चाहे 2003 के कैट का एग्जाम रहा हो या फिर वर्ष 2024 की नीट परीक्षा,  देश में पिछले 25 सालों में जब-जब पेपर लीक का मामला उठा, तब-तब उसके तार बिहार के नालंदा से ही जुड़े। यहां के मास्टरमाइंड की कहानी ने राष्ट्रीय मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं। वजह इसके मास्टरमाइंड की रोचक कहानी रही। साल 2003 में 33 साल के रंजीत डॉन ने कैट जैसे बड़े एग्जाम के पेपर लीक करवाए, तो अब संजीव मुखिया को नीट पेपर लीक का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। बिहार ईओयू (आर्थिक अपराध शाखा) के ताबड़तोड़ सबूत समेत की जा रही गिरफ्तारियों से नालंदा एक बार भी पेपर लीक कांड संबंधी सामने आ रही कहानियों और खबरों के केंद्र में है।

साल 2003 में कैट परीक्षा के पेपर लीक से सुर्खियों में आया था नालंदा

साल 2003 में भारतीय प्रबंधन संस्थान में दाखिला के लिए कैट ने प्रवेश परीक्षा आयोजित करवाया था। उसके लिए देश के 26 शहरों में 137 केंद्र बनाए गए, लेकिन परीक्षा से एक घंटे पहले ही कैट का पेपर लीक हो गया। पेपर लीक की वजह से कैट को अपना एग्जाम रद्द करना पड़ा और वह पेपर रद्द कैट मामले की जांच उस वक्त सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने जब तहकीकात शुरू की, तो उसे इस पूरे खेल का मास्टर माइंड के बारे में पता चला। वह मास्टरमाइंड था- नालंदा का 33 वर्षीय रंजीत सिंह उर्फ रंजीत डॉन। सीबीआई उसके बाद हरकत में आ गई और उसने रंजीत डॉन को पकड़ने के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू कर दी थी। आखिर में रंजीत डॉन दिल्ली के एक होटल से सीबीआई की पकड़ में आया। गिरफ्तारी के बाद रंजीत डॉन ने जो खुलासा किया, उससे सबी सन्नाटे में रह गए। तब सीबीआई को रंजीत के खुलकर बताया था कि उसने पहले भी कई परीक्षाओं का पेपर लीक करवा चुका है।

2024 के नीट पेपर लीक का मास्टरमाइंड संजीव मुखिया उर्फ लूटन को बताया जा रहा है। बिहार आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिक नीट का पेपर सबसे पहले संजीव के पास ही आया था। संजीव ने ही उस पेपर को 10-15 अभ्यर्थियों को बांटा था। संजीव नालंदा के नगरनौसा का रहने वाला है
नीट पेपर लीक मामले में फरार आरोपी लूटन उर्फ संजीव मुखिया की पुलिस रिकार्ड से मिली तस्वीर

पेपर लीक में जेल जाने के बाद रंजीत डॉन अब सियासत में सक्रिय

सीबीआई को पूछताछ में तब रंजीत डॉन ने कई रोचक जानकारियां दी थीं। बताया था कि आईआईएम के पेपर लीक करवाने के लिए उसने हर अभ्यर्थी से 10-10 लाख रुपए लिए थे। जांच के दौरान सीबीआई को पता चला कि रंजीत डॉन एमबीबीएस, कैट और बैंक पीओ की परीक्षा में फर्जीवाड़ा करता है। उसने खुद अपनी एमबीबीएस की डिग्री दरभंगा मेडिकल कॉलेज से खरीदी हुई थी। रंजीत डॉन उसके बाद कई सालों तक जेल के सलाखों के पीछे ही रहा। इस समय वह जमानत पर है और सियासत में सक्रिय है। पेपर लीक के मामले में जेल की हवा खाने के बाद रंजीत डॉन नालंदा से विधानसभा और विधानपरिषद का भी चुनाव लड़ा लेकिन उसे अब तक किसी भी चुनाव में जीत नहीं मिली। उसके बाद वर्ष 2014 के पीएमटी परीक्षा में भी एसआईटी के रडार में रंजीत डॉन का नाम आया था। उससे पूछताछ भी हुई लेकिनउसकी गिरफ्तारी नहीं हुई थी।

रंजीत डॉन ने पेपर लीक का धंधा छोड़ा लेकिन साथी काले धंधे में बने रहे

पिछले 25 साल में भारत में पेपर लीक से जुड़े मामले में अब तक जितने भी मास्टरमाइंड का नाम सामने आया है, उसमें तीन रंजीत डॉन, संजीव मुखिया और दीपक कुमार नालंदा के ही रहने वाले हैं। इन तीनों पर कम से कम भर्ती से जुड़े 10 परीक्षाओं में पेपर लीक कराने के आरोप लगे हैं। दीपक तो अभी रांची पुलिस की गिरफ्त में भी है। आखिर बार उसका नाम झारखंड जूनियर इंजीनियर परीक्षा 2022 के पेपर लीक में आया था। बिहार में इस धंधे को रंजीत डॉन ने ही बढ़ाया था। अपने काम को अंजाम देने के लिए उसने कई गैंग भी बनाए थे। रंजीत जब सीबीआई के हत्थे चढ़ा तो उसने इस काम को छोड़ दिया, लेकिन उसके गैंग के कई सदस्य इससे बाहर नहीं आ पाए। वर्ष 2020 से अब तक हुए तीन बड़ी परीक्षाओं (झारखंड जूनियर इंजीनियर, बीपीएससी-टीआरई और नीट परीक्षा) के पेपर लीक के तार नालंदा से ही जुड़े हैं। उन तीन परीक्षाओं के पेपर लीक का केंद्र नालंदा ही था। बिहार पुलिस के मुताबिक नालंदा से पिछले पांच साल भर्ती परीक्षा के दौरान 50 से ज्यादा मुन्नाभाइयों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सब पर दूसरे के बदले परीक्षा देने का आरोप रहा है। इसी बार नीट परीक्षा के दौरान कटिहार के जवाहर नवोदय केंद्र से सात मु्न्नाभाई पकड़े गए थे और वे सभी नालंदा के पावापुरी मेडिकल कॉलेज के छात्र थे।

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