पटना : मधेपुरा से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने दिल्ली में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की और उनके पिता व राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। वहीं शिबू सोरेन...
पटना : मधेपुरा से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने दिल्ली में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की और उनके पिता व राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। वहीं शिबू सोरेन के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। इस खबर को सुनकर पप्पू यादव ने कहा कि आज मेरा मन अत्यंत भावुक और प्रसन्न है। वह श्रद्धा और उम्मीद का संयोग जो हमारे आदिवासी, दलित और वंचित समाज के संघर्ष से जुड़ा है, आज उसकी एक जीती-जागती मिसाल श्रद्धेय दिशोम गुरु शिबू सोरेन के स्वास्थ्य में तेजी से हो रहे सुधार के रूप में हमारे सामने है। यह न सिर्फ उनके चाहने वालों के लिए, बल्कि उन तमाम संघर्षशील साथियों के लिए राहत और प्रेरणा की बात है, जो उनके विचारों और मार्गदर्शन को आदर्श मानते हैं।
शिबू सोरेन सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता के प्रतीक हैं - पप्पू यादव
सांसद पप्पू यादव ने कहा कि शिबू सोरेन सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता के प्रतीक हैं। वे सिद्धू-कानू, चांद-भैरव और भगवान बिरसा मुंडा के रास्ते पर चलने वाले वह योद्धा हैं, जिन्होंने जीवनभर सत्ता की चकाचौंध की जगह संघर्ष के कांटों से रास्ता चुना और झारखंड मुक्ति मोर्चा को आदिवासी हक और सम्मान की आवाज बनाया। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर नीयत साफ हो और इरादे मजबूत, तो कोई ताकत वंचित समाज की हिस्सेदारी को रोपने से नहीं रोक सकती।
पप्पू ने कहा- मेरे प्रिय भाई हेमंत सोरेन इसी विचारधारा को आज मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं
सांसद ने कहा कि उनके सुपुत्र, झारखंड के मुख्यमंत्री और मेरे प्रिय भाई हेमंत सोरेन इसी विचारधारा को आज मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं। सत्ता के तमाम दबावों, साजिशों और जुल्मों के बावजूद हेमंत भाई ने न तो झुकना स्वीकार किया और न डरना। उन्होंने बार-बार साबित किया है कि यदि कोई आज भी दलित-आदिवासी समाज की असली चिंता करता है, तो वह वही नेतृत्व है जो उनके बीच से आता है, उनकी पीड़ा को जीता है और न्याय की आवाज बनता है। आज जब राजनीति अवसरवादिता और सौदेबाजी की बुनियाद पर चल रही है, तब कुछ लोग बाबू जगजीवन राम और भोला पासवान शास्त्री जैसे पुरोधाओं की विचारधारा को छोड़कर बीजेपी खेमे में डर कर बैठ गए हैं। यह केवल विचारधारा से विश्वासघात नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय के संघर्ष से भी पलायन है। इसके उलट झारखंड मुक्ति मोर्चा ने हर कदम पर सिद्ध किया है कि वह ना तो बिकेगा, ना झुकेगा।
'आने वाले समय SC-ST समुदाय के लिए यदि कोई निर्णायक बदलाव लाएगा, तो उसमें सबसे आगे खड़े व्यक्ति का नाम हेमंत सोरेन होगा'
मैं कांग्रेस नेतृत्व से विशेष अनुरोध करता हूं कि वे देशभर में जहां-जहां आदिवासी समाज की ताकत है, वहां जेएमएम जैसे प्रतिबद्ध और संघर्षशील दलों को आगे लाने में संकोच न करें। इससे सामाजिक न्याय की लड़ाई को न केवल गति मिलेगी, बल्कि यह एक स्पष्ट और सकारात्मक संदेश भी जाएगा कि भारत की राजनीति अब वंचितों के नेतृत्व को सम्मान देने को तैयार है। आज के दौर में जब शोर अधिक और समर्पण कम है, तब हेमंत भाई जैसे नेता उम्मीद की लौ हैं। ईमानदारी, साहस और समाज के लिए समर्पण की प्रतीक। मुझे विश्वास है कि आने वाला समय एससी-एसटी समुदाय के लिए यदि कोई निर्णायक बदलाव लाएगा, तो उसमें सबसे आगे खड़े व्यक्ति का नाम हेमंत सोरेन होगा। ॐ श्री सिद्धू-कानू बिरसा की जय।
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अंशु झा की रिपोर्ट
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