PATLIPUTRA LOKSABHA: कौन जीतेगा लोगों का भरोसा, रामकृपाल या मीसा

PATLIPUTRA LOKSABHA

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पटना: लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान 01 जून को होना है और सभी पार्टियां अपने उम्मीदवार की जीत के लिए लगातार मेहनत कर रही है। अंतिम चरण के मतदान में बिहार की हॉट सीट में से एक है हॉट सीट है पाटलिपुत्र। इस सीट पर मुख्य मुकाबला है भाजपा के प्रत्याशी रामकृपाल यादव और विपक्षी गठबंधन के बिहार की प्रमुख पार्टी राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती के बीच।

हालांकि माना जा रहा है कि इस सीट पर परिणाम पिछले दो चुनाव की तरह ही होगा लेकिन फिर भी संशय की स्थिति बरक़रार है। दोनों ही उम्मीदवार और उनका गठबंधन चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। एक तरफ जहां पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार करने के लिए एनडीए की तरफ से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरीखे लोग पहुंचे तो इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के प्रचार के लिए कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा राहुल गांधी भी पहुंचे।

हालांकि दोनों ही प्रत्याशी इस लोकसभा सीट में विकास का मुद्दा लेकर लोगों से वोट मांग रहे हैं। इस लोकसभा सीट पर एक तरफ रामकृपाल यादव के सामने जीत की हैट्रिक बनाने की चुनौती है तो मीसा भारती के सामने हार की हैट्रिक से बचने की चुनौती। आइये देखते हैं क्या कहता है पाटलिपुत्र का समीकरण

भौगोलिक स्थिति
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र वर्ष 2008 में नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया। तीन लोकसभा क्षेत्रों के कटे हुए भाग से इसका निर्माण किया गया और नाम पड़ा पाटलिपुत्र। वर्ष 2008 के नए परिसीमन में जहानाबाद से मसौढ़ी, आरा से पालीगंज एवं मनेर और पटना से फुलवारी, दानापुर और बिक्रम विधानसभा को अलग कर एक नया लोकसभा क्षेत्र का निर्माण किया गया जिसका नाम रखा गया पाटलिपुत्र। पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में पहला चुनाव वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में हुआ था।

हमेशा रहा एनडीए का कब्ज़ा
अस्तित्व में आने के बाद इस लोकसभा सीट पर पहला चुनाव वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में हुआ था। पहले लोकसभा चुनाव में जदयू के रंजन प्रसाद यादव ने इस सीट पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को करारी शिकस्त दी और जीत हासिल की थी। फिर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से यह सीट लगातार भाजपा के खाते में है और भाजपा से रामकृपाल यादव दो बार राजद अध्यक्ष लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया है।

एक भी विधानसभा में नहीं हैं एनडीए के विधायक
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र है। पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में मसौढ़ी, पालीगंज, मनेर, फुलवारी, दानापुर और बिक्रम विधानसभा क्षेत्र है। लेकिन इन 6 विधानसभा क्षेत्रों में तीन पर राजद का कब्ज़ा है। राजद के कब्जे में मसौढ़ी, दानापुर और मनेर विधानसभा सीट है, जहां से राजद के विधायक हैं। पालीगंज और फुलवारी सीट पर भाकपा माले का कब्ज़ा है तो बिक्रम सीट पर कांग्रेस का। हालांकि विश्वासमत के दौरान कांग्रेस के विधायक ने नीतीश कुमार को समर्थन दिया था।

जातीय समीकरण
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में अधिकतर क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्र है। इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 20 लाख मतदाता हैं। पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर पांच लाख से अधिक यादव मतदाता हैं जबकि कुर्मी वोटर की आबादी करीब चार लाख है जबकि भूमिहार तीन लाख के करीब हैं। दलित और मुस्लिम आबादी भी कम नहीं है और प्रत्याशियों के लिए अहम माने जाते हैं।

अगर बात करें विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से तो फुलवारी में मुस्लिम और कुर्मी मतदाता की बहुलता है जबकि मसौढ़ी में कुर्मी और यादव। वहीं बिक्रम भूमिहार बहुल क्षेत्र है तो पालीगंज यादव और भूमिहार बहुल जबकि दानापुर और मनेर में यादवों की बहुलता है।

मुकाबला रहा द्विपक्षीय, तीसरे नंबर के प्रत्याशी बहुत दूर
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर अब तक तीन बार लोकसभा चुनाव हो चुका है और तीनो ही बार मुख्य मुकाबला एनडीए और राजद के बीच ही रहा है। वर्ष 2009 में जदयू के रंजन यादव ने खुद लालू यादव को परास्त किया था जबकि वर्ष 2014 और 2019 में उनकी बेटी मीसा भारती को रामकृपाल यादव ने।

अगर देखें वोटों के अंतर की तो वर्ष 2009 में जदयू के रंजन यादव को 269298 मत प्राप्त हुआ था जबकि राजद प्रमुख लालू यादव को 245757 वोट जबकि तीसरे नंबर पर सीपीआई माले के रामेश्वर प्रसाद को मात्र 36837 वोट प्राप्त हुआ था। वहीं वर्ष 2014 में भाजपा के रामकृपाल यादव को 383262 वोट, मीसा भारती को 342940 वोट और तीसरे नंबर पर रहे जदयू के रंजन यादव को 97228 वोट प्राप्त हुआ था। वर्ष 2019 में भाजपा के रामकृपाल यादव को 509557 वोट मिले जबकि राजद की मीसा भारती को 470236 वहीं बसपा के मोहम्मद कलीमुल्लाह 14045 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे।

अगर वोटों का अंतर् देखें तो तीनो ही लोकसभा चुनाव में जीत का अंतर काफी नजदीक का रहा है जबकि तीसरे नंबर पर रहने वाले प्रत्याशी के वोट का अंतर काफी बड़ा रहा है। मतलब साफ है कि इस लोकसभा सीट पर भाजपा और राजद में कड़ी टक्कर है और जीत दोनों ही पार्टी के प्रत्याशी के ही लिए आसान नहीं है।

जनता का मूड
जनता के मूड की बात करें तो कुछ भी स्पष्ट कहा नहीं जा सकता कि पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से कौन बाजी मारेगा। एक तरफ मोदी लहर है तो दूसरी तरफ तेजस्वी के ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार का असर भी। एक तरफ एनडीए के विकास का मुद्दा है तो दूसरी तरफ राजद के दावे भी हैं। हालांकि इस बाबत जब मतदाताओं से उनका मत जानने की कोशिश की गई तो उसके हिसाब से कुछ भी निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है लेकिन यह कहा जा सकता है कि पाटलिपुत्र सीट एक बार फिर भाजपा के खाते में जा सकती है।

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मंजेश कुमार

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