Patna: अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर

स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग : चरमराई अस्पताल की व्यवस्था, मरीजों का नहीं हो रहा इलाज

पटना : अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर – नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल

और पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित पूरे बिहार के जूनियर डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.

स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल

पर चले जाने के कारण अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है.

जिसके कारण मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है.

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर : मरीजों के बीच मची अफरा-तफरी

इंटर्न डॉक्टरों ने नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के रजिस्ट्रेशन काउंटर को बंद करा दिया.

जिससे मरीजों के बीच अफरा-तफरी मच गई. मरीज के परिजन हंगामा करने लगे.

रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास तोड़फोड़ भी हुआ है.

रजिस्ट्रेशन काउंटर के कर्मचारी के बीच अफरा-तफरी मच गई.

मरीजों को देखने के लिए लगभग 800 पर्चे कट चुके हैं.

लेकिन मरीजों का इलाज नहीं होने से परिजन काफी परेशान दिख रहे हैं.

वहीं जूनियर डॉक्टर आपातकालीन सेवा के पास धरने पर बैठकर हंगामा कर रहे हैं.

और राज्य सरकार से स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

35 हजार रुपये करने की मांग

गौरतलब है कि 16 अगस्त को भी अस्पताल परिसर में इंटर्न मेडिकल छात्रों ने

उसी मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.

जूनियर डॉक्टर का कहना है कि उन्हें प्रत्येक महीने 15 हजार रुपये स्टाइपेंड मिलता है जो काफी कम है. उन्होंने इसे बढ़ाकर कम से कम 35 हजार रुपये करने की मांग की है. इसको लेकर जूनियर डॉक्टर ने अस्पताल अधीक्षक और स्वास्थ्य सचिव को भी अपना मांग पत्र दिया था.

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर : दूसरे राज्यों में स्टाइपेंड की राशि बिहार से ज्यादा

इंटर्न छात्रों का कहना है कि वे अपनी बात स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर वहां से किसी प्रकार का आश्वासन नहीं मिला तो अनिश्चितकालीन हड़ताल आगे भी जारी रहेगा. जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि दूसरे राज्यों में स्टाइपेंड की राशि बिहार से ज्यादा है. उनका कहना है कि झारखंड में स्टाइपेंड 24 हजार पांच सौ रुपए है. जबकि पश्चिम बंगाल में 28 हजार और असम में 31 हजार रुपये है. उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग ने स्टाइपेंड की राशि की प्रत्येक तीन साल में समीक्षा करने की बात कही थी, पर पिछले छह साल से उसको लेकर किसी तरह की न तो समीक्षा की गई है और न ही स्टाइपेंड की राशि में वृद्धि ही हुई.

रिपोर्ट: उमेश चौबे

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