मुजफ्फरपुर/बेतिया/नवादा/सीतामढ़ी/पूर्णिया : बिहार के अलग-अलग जिलों में सिविल कोर्ट के कर्मचारियों की तरफ से कलमबंद हड़ताल किया जा रहा है। जिसमें मुजफ्फरपुर, बेतिया, सीतामढ़ी, पूर्णिया और नवादा जिला शामिल है। बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर मुजफ्फरपुर व्यवहार न्यायालय इकाई के चार मांगों को लेकर लगभग 350 कर्मचारियों अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर चले गए। हड़ताली महिला और पुरुष कर्मचारियों ने मुजफ्फरपुर व्यवहार न्यायालय परिसर सरकार के विरुद्ध नारेबाजी कर अपनी मांगों को लेकर जोरदार आवाज बुलंद की।
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इस अवसर पर बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ जिला इकाई के सचिव उमेश प्रसाद ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद बिहार सरकार ने वेतनमान में वृद्धि नहीं किया गया है। अनुकंपा शत-प्रतिशत लागू करें। सरकारी नियमानुसार समय पर कर्मचारियों का प्रमोशन और न्यायिक कैडर बनाने की मांग की। जबतक बिहार सरकार से सम्मानजनक समझौता नहीं होगा तब तक हड़ताल जारी रहेगा। वहीं कर्मचारी खुशबू कुमारी ने बताया कि चार मांगों को लेकर धरना पर बैठे हैं। हमारी बहाली ग्रेजुएशन लेवल पर होती है, जबकि मैट्रिक लेवल का वेतन दिया जाता है और कोई प्रमोशन नहीं दिया जाता है।
बेतिया में भी बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर कलमबंद हड़ताल
बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर पश्चिमी चंपारण व्यवहार न्यायालय के सभी कर्मचारी अपनी वेतन विशंगतियों, अनुकंपा पर नौकरी, पदोन्नती और विशेष न्यायिक कैडर लागू करने जैसे मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन कलमबद्ध हड़ताल पर गए। न्यायालय कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन कलमबद्ध हड़ताल पर बैठ गए। साथ ही बिहार सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं। अपनी मांगों को मनवाने के लिए उन लोगों की मुख्य मांगों में 1991 द्वारा उच्च न्यायालय द्वारा स्नातक स्तरीय वेतन का अनुशंसा किया गया। लेकिन 1994 में बिहार सरकार ने उक्त अनुशंसा को रद्द कर दिया।

सर्वोच्च न्यायालय के फटकार के बाद तत्कालीन कर्मचारियों को एक्स्ट्रा इंक्रीमेंट दिया गया। लेकिन प्रोन्नति के लिए न्यायिक कैलेंडर कर्मचारियों को नहीं मिला और कितने कर्मचारी बिना प्रमोशन के सेवा निवृत हो गए। बिहार सरकार द्वारा उसे लागू नहीं किया गया। न्यायिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अमित कुमार तिवारी ने कहा कि हमलोग की मांगे सरकार ने कचरा के बस्ते में डाल दिया है। उन विभाग के सभी कर्मचारियों को पदोन्नति दी गई और उन कर्मचारियों को शुभ सुविधा मिले लेकिन हम लोग के साथ दुर्व्यवहार कर रही है। अगर सरकार हम लोगों की मांगे नहीं मानती है हम लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे और हड़ताल जारी है।
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अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए नवादा व्यवहार न्यायालय के कर्मचारी
नवादा व्यवहार न्यायालय के बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के बैनर तले व्यवहार न्यायालय के कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए संघ के अध्यक्ष में बताया कि अपनी विभिन मांगे को लेकर हम लोग आज व्यवहार न्यायालय के समीप हड़ताल किए हैं। हड़ताल होने के बाद व्यवहार न्यायालय का सारा कामकाज ठप हो गया है। उन्होंने बताया कि वेतन विसंगति को जल्द से जल्द पूरा करें सभी तृतीय और चतुर्थी वर्ग के कर्मचारियों के शीघ्र पदोन्नति हो शत-प्रतिशत अनुकंपा पर बहाली हो विशेष न्यायिककैडर लागू हो। उन्होंने बताया कि 1991 में उच्च न्यायालय पटना के द्वारा स्नातक स्तरीय वेतनमान का अनुशंसा किया गया लेकिन 1994 में बिहार सरकार ने उक्त अनुशंसा को खारिज कर दिया।

आपको बता दें कि 1994 में ही राइट सीडब्ल्यूजीसी /1994 पटना उच्च न्यायालय में दाखिल किया गया। न्यायाधीश एके गांगुली द्वारा कर्मचारियों को के पक्ष में जजमेंट दिया गया। बिहार सरकारी द्वारा उसे लागू नहीं किया गया। न्यू पटियाला कमेटी द्वारा स्नातक स्तरीय वेतनमान का अनुशंसा किया गया। बिहार सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया। शेट्टी कमीशन द्वारा न्यायिक कर्मचारियों के लिए एक एक्स्ट्रा इंक्रीमेंट पद्गति विशेष न्यायिक कैडर आदि की अनुशंसा की गई। सर्वोच्च न्यायालय में फटकार के बाद तत्कालीन कर्मचारियों को केवल एक एक्स्ट्रा इंक्रीमेंट दिया गया। परंतु पद्गति विशेष न्यायिक कैद आदि कर्मचारियों को नहीं मिला और अभी तक कितने कर्मचारी बिना पद्गति के सेवानिवृत हो गए यह नहीं सभी बिंदुओं को लेकर कर्मचारियों ने हड़ताल पर बैठे हैं। इस मौके पर सुभाष चंद्र शर्मा, सुबोध कुमार, चंदन कुमार शर्मा, अमन कुमार रंजन, खुशबू कुमारी, राजेश कुमार एवं अन्य सहकर्मी गण मौजूद रहे।
सिविल कोर्ट के कर्मी अपनी मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन पेन डाउन स्ट्राइक पर
सीतामढ़ी सिविल कोर्ट के कर्मी अपनी मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन पेन डाउन स्ट्राइक पर चले गए हैं। सीतामढ़ी के जिला मुख्यालय डुमरा के सिविल कोर्ट के मुख्य द्वार पर सैकड़ों की तादाद में कर्मी हड़ताल पर बैठे हुए है जिनके हाथों में अपनी मांगों के समर्थन में नारे लिखे तख्तियां है। वेतन विसंगति को दूर करने और समय रहते पद्नोति देने समेत कई मांग इन कर्मियों की है। लोगों का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है।

4 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गए कर्मचारी
पूर्णिया सिविल कोर्ट के तकरीबन 300 कर्मचारी अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से जमानत आवेदन की सुनवाई, कैदियों की रिहाई, गवाही और रिहाई पूरी तरह प्रभावित है। बता दें कि 35 वर्षो के बाद थर्ड ग्रेड और फोर्थ ग्रेड कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं। साथ ही कोर्ट परिसर में संघ के पदाधिकारी और कर्मियों ने अपनी मांगों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी किया।

मौके पर प्रदर्शन का अगुवाई कर रहे कर्मचारी संघ के पूर्णिया शाखा के अध्यक्ष महेश पासवान ने कहा कि बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ ने अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर कलमबंद हड़ताल का आह्वाहन किया है। इन मांगों में तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की वेतन विसंगति से जल्द दूर करने, तृतीय और चतुर्थ वर्ग कर्मचारी को शीघ्र पदोन्नति किए जाने, अनुकंपा पर शत प्रतिशत बहाली और विशेष न्याय कैडर लागू किए जाने की मांग शामिल हैं। हम कर्मियों ने कलम बंद करते हुए अपनी चार सूत्री मांग रखी है। इस पर अब सरकार को विचार करना है।
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संतोष कुमार, दीपक कुमार, अमित कुमार, श्याम नंदन और अनिल कुमार की रिपोर्ट