चतरा : पहाड़ियों और जंगलों के बीच गूंजती घंटियों-नगाड़ों की ध्वनि और मंत्रोचार अलौकिकता की अनुभूति कराती है। झारखंड के चतरा ज़िले में प्रकृति की अनुपम छटा के बीच मां भद्रकाली का ऐतिहासिक मंदिर स्थित है। शक्तिपीठ मां भद्रकाली तीन धर्मों की संगम स्थल के नाम से पूरी दुनिया में विख्यात है। यहां लोग दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है की माता के दर्शन मात्र से यहां आनेवाले श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होती हैं।
यहां सालोभर बड़ी संख्या में जैन, बौद्ध और सनातन धर्म के अनुयायी आते हैं और ध्यान मग्न हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक यहां जिसने भी मन से अपनी संकटों को अपनी विपदाओं को मां के पास रखा उनकी सारी मनोकामनाएं मां भद्रकाली ने पूरी की है। यही वजह है कि यहां 24 घंटे भक्तों की तादाद देखने को मिल जाती है।
सनातन धर्मावलंबियों के लिए यह पावन भूमि मां भद्रकाली के साथ-साथ सहस्र शिवलिंग महादेव के सिद्ध पीठ के रूप में आस्था का केंद्र है। यहां सहस्त्र शिवलिंग है, एक बड़े शिवलिंग में 1008 छोटे-छोटे शिवलिंग स्थापित हैं। यहां जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है।
जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए भी ये पावन भूमि है। जैन धर्म के 10वें तीर्थंकर शीतलनाथ की यह जन्मभूमि है। यहां उनके पैरों के निशान भी मिले हैं जो इसे जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थ बनाते हैं। भगवान बुद्ध की तपोभूमि के रूप में भी इस जगह का उल्लेख है। ज्ञान की खोज में निकलने के बाद भगवान बुद्ध भी यहां आए थे, और तप में लीन हो गए थे। इसलिए बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए भी ये जगह उतना ही पावन है। यहां पर बौद्ध स्तूप भी है जिसमें भगवान बुद्ध की छोटी-छोटी 1008 प्रतिमाएं विराजमान हैं।