रांची: भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ करने वाला भाई दूज का पर्व रविवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस पर्व के साथ ही विभिन्न जगहों पर भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा भी की जाएगी।
इसी बीच महापर्व छठ की तैयारियां भी पूरे जोरों पर हैं। छठ पूजा का आरंभ 5 नवंबर, मंगलवार को नहाय-खाय के साथ होगा। यह महापर्व सूर्यदेव की आराधना, परिवार की खुशहाली और संतान की मंगलकामना के लिए किया जाता है। आचार्य पंडित प्रणव मिश्रा के अनुसार, इस वर्ष छठ महापर्व पर संध्या अर्घ्य और प्रातःकालीन अर्घ्य के दिन शश योग और लक्ष्मीनारायण योग का संयोग रहेगा। वहीं, खरना के दिन सुकर्मा व धृति योग भी बनेगा, जो इस व्रत को और भी फलदायी और शुभ बनाता है।
नहाय-खाय के दिन व्रती स्नान कर शुद्धता का पालन करते हुए कद्दू, चावल, घी और सेंधा नमक से बना प्रसाद ग्रहण करेंगी। अगले दिन खरना के दिन व्रती निर्जला उपवास रखेंगे और शाम को शुद्ध दूध और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद सूर्यदेव को अर्पित करेंगे, फिर इसे सभी के बीच बांटा जाएगा।
भाई दूज का पर्व विभिन्न समाजों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाएगा। बंगाली समाज में इसे भाई फोटा कहा जाता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों को चंदन का टीका कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। बिहारी समाज में बहनें गोबर के सांप और बिच्छू बनाकर भाइयों की रक्षा का संकल्प लेते हुए प्रतीकात्मक दुश्मनों को कूटती हैं। वहीं, मारवाड़ी समाज की बहनें भाइयों की आरती कर उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस अवसर पर भाई-बहन एक-दूसरे को उपहार भी देते हैं, जो इस पर्व को और भी विशेष बनाता है।