झारखंड- केरल, महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश जैसे राज्यों में कोरोना के तीसरी लहर की आहट सुनाई पड़ने लगी है. इधर झारखंड में भी तीसरी लहर से निपटने की तैयारियां तेज हो गयी है। राज्य के दो प्रमुख मेडिकल कॉलेज राजेन्द्र चिकित्सा विज्ञान संस्थान, रांची और फूलो-झानो चिकित्सा महाविद्यालय, दुमका में कोरोना टेस्टिंग के लिए आधुनिक कोबास-6800 मशीन लग चुकी है। इससे न सिर्फ टेस्टिंग क्षमता बढ़ी है, बल्कि टेस्टिंग की गुणवता में भी सुधार हुआ है। राज्य सरकार का पूरा जोर बेड और ऑक्सिजन की कमी से निपटने की है। दूसरी लहर के समय ही रिम्स में कोबास मशीन लगाने के लिए आईसीएमआर से अनुमति मांगी गयी थी। हालांकि, समय पर मशीन उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण, उस समय कोबास मशीन नहीं लग पाया। अभी सात जिलों में पीएसए प्लांट लगाने का काम पूरा हो चुका है, 10 अगस्त तक अन्य जिलों में भी ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए 48 पीएसए प्लांट लगाने की समय सीमा तय कर दी गयी है।
तीसरी लहर में सबसे ज्यादा संभावित खतरा बच्चों को माना जा रहा है। राज्य सरकार का पूरा जोर बच्चों की सेहत और सुरक्षा को लेकर है। बच्चों के लिए लगभग 90 बेड तैयार किए गए हैं। 27 बेड में पीआईसीयू और 24 बेड में हाई डेफिसिएंसी यूनिट (एचडीयू) की सुविधा है। 40 सामान्य बेड भी बच्चों के लिए तैयार किए गए हैं। संक्रमित बच्चों के मंनोरजन के लिए पेंटिंग-कार्टून, प्ले ग्राउंड आदि की भी व्यवस्था की जा रही है।
अब तक झारखंड में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा नहीं है। इसके कारण भुवनेश्वर से रिपोर्ट आने का लम्बा इंतजार करना पड़ता था। अब राज्य सरकार ने जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की भी खरीद का निर्णय ले लिया गया है। जल्द ही झारखंड में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा भी बहाल हो जाएगी।