Thursday, September 4, 2025

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राज्यपाल से मिले राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश, सूर्या हांसदा एनकाउंटर की सीबीआई जांच कराने की मांग की

रांची. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने झारखंड के राज्यपाल से मिलकर आदिवासी नेता सूर्या हांसदा एनकाउंटर की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। दीपक प्रकाश ने राज्यपाल को अवगत कराते हुए कहा कि यह मामला केवल एक परिवार की पीड़ा तक सीमित नहीं है, बल्कि हजारों गरीब, असहाय और वंचित बच्चों के भविष्य से भी जुड़ा है, जिन्हें स्व. सूर्या हांसदा शिक्षा और संस्कार प्रदान कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि सूर्या हांसदा के परिवार के द्वारा दिए गए विवरण से स्पष्ट है कि एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत पहले उन्हें पुलिस प्रशासन ने गिरफ्तार किया। रातभर अमानवीय यातनाएं दीं और तत्पश्चात एक फर्जी मुठभेड़ की कहानी गढ़कर उनकी हत्या कर दी गई। उनकी केवल यही गलती थी कि वे गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देते थे, अवैध खनन का विरोध करते थे तथा धर्मांतरण और घुसपैठियों के खिलाफ आवाज उठाते थे।

दीपक प्रकाश ने राज्यपाल को बताया कि राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीआईडी झारखंड को सौंप दी है, जबकि जिस थाना के पुलिस अधिकारियों पर हत्या का आरोप है, वे आज भी उसी थाने में पदस्थापित हैं। ऐसी स्थिति में निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना व्यर्थ है। यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि राज्य सरकार दोषी पुलिसकर्मियों और षड्यंत्रकारियों को बचाने का प्रयास कर रही है तथा फर्जी मुठभेड़ से जुड़े साक्ष्यों को मिटाने की कुप्रयास भी हो रही है।

दीपक प्रकाश ने राज्यपाल से सादर अनुरोध करते हुए मांग की है कि जिन अधिकारियों पर इस कांड में संलिप्त होने का गंभीर आरोप है तथा जिन्हें जनता भी संदिग्ध मानती है, उन्हें अविलंब वर्तमान जिले से अन्यत्र पदस्थापित किया जाए ताकि इस मामले की न केवल जांच प्रक्रिया में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न होने से रोका जा सकेगा, बल्कि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ अथवा उन्हें नष्ट किए जाने की आशंका भी समाप्त होगी तथा प्रभावित परिवार एवं आमजन पर जो भयादोहन उन अधिकारियों के द्वारा निरंतर जारी है, वह भी रुक सकेगा।

उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता का यह दृढ़ विश्वास है कि सीआईडी द्वारा की जा रही जांच केवल लीपापोती है और इसी कारण संबंधित अधिकारियों को यथास्थान पदस्थापित रखा गया है। ऐसी स्थिति में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता केवल तभी सुनिश्चित हो सकती है, जब इस प्रकरण की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी जाए। तभी “दूध का दूध और पानी का पानी होने की वास्तविक संभावना है।

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