Reform in Examination Process : पेपर लीक रोकने पूर्व इसरो प्रमुख की अध्यक्षता में बनी हाई लेवल कमेटी

नई दिल्ली : Reform in Examination Process पेपर लीक रोकने पूर्व इसरो प्रमुख की अध्यक्षता में बनी हाई लेवल कमेटी। नीट पेपर लीक के मामले में केंद्र सरकार को अंदर से हिला दिया है। उसने पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। सरकार की गंभीरता इसी से समझी जा सकती है कि नीट पेपर लीक संबंधी सबूत समेत बिहार ईओयू (आर्थिक अपराध शाखा) की ओर से रिपोर्ट मिलने के बाद देश में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रक्रिया को सुधारने का मन बना लिया है ताकि नकल माफियाओं से पूरी प्रक्रिया को सुरक्षित रखते हुए परीक्षा की पवित्रता को कायम रखा जा सके। इसी क्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एनटीए की परीक्षा प्रणाली की निगरानी समेत सिस्टम में सुधार के लिए एक हाई लेवल कमेटी के गठन की घोषणा कर दी है।

दो महीने में अपना रिपोर्ट देगी परीक्षा प्रक्रिया सुधार संबंधी गठित कमेटी

पूर्व इसरो प्रमुख के राधाकृष्णन परीक्षा प्रक्रिया में सुधार पर सात सदस्यीय पैनल का नेतृत्व करेंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि पैनल अपनी जांच की रिपोर्ट दो महीने के भीतर पेश करेगा। यूजीसी नेट को रद्द करने और नीट यूजी 2024 के कथित पेपर लीक को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को परीक्षाओं का पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा की। सात सदस्यीय समिति परीक्षा प्रक्रिया के तंत्र में सुधार, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की संरचना और कार्यप्रणाली पर सिफारिशें करेगी। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीजे राव और एम्स दिल्ली के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया इस समिति में शामिल हैं।

पेपर लीक पर मचे बवाल के एक्शन में केंद्र सरकार

देश भर में पेपर लीक पर मचे बवाल के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय अब एक्शन मोड में है। नेट-यूजीसी और नीट-यूजी पेपर लीक को लेकर मचे हंगामे के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दो दिन पहले ही ऐसा कदम उठाए जाने की घोषणा की थी। विशेषज्ञों की इस कमेटी को परीक्षाओं के पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन को तय करने की जिम्मेदारी दी गई है। कमेटी के अन्य सदस्यों में आईआईटी मद्रास के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के एमेरिटस प्रोफेसर डॉ. राममूर्ति, कर्मयोगी भारत के बोर्ड मेंबर पंकज बंसल, आईआईटी दिल्ली के डीन (स्टूडेंट वेलफेयर) प्रो. आदित्य मित्तल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव गोविंद जयसवाल शामिल हैं।  इस कमेटी के जिम्मे सिफारिशों के तहत एनटीए की संगठनात्मक संरचना और कार्यप्रणाली पर सिफारिशें करना और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने का काम भी होगा। साथ ही एनटीए की मौजूदा शिकायत निवारण तंत्र का आकलन करना होगा ताकि सुधार के क्षेत्रों की पहचान हो सके। समिति को 2 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपनी होगी। कमेटी को अपनी सहायता के लिए विशेषज्ञों की मदद लेने की अनुमति दी गई है।

शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को परीक्षाओं का पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा की।
एम्स दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. रणदीप गुलेरिया

बीते आधी रात को देश में लागू हुआ एंटी पेपर लीक कानून

पेपर लीक जैसे अपराधों से निपटने के लिए सरकार ने बीती आधी रात (21 जून) को देश में एंटी पेपर लीक कानून 2024 लागू कर दिया है। देश में चल रहे नीट यूजी विवाद के बाद इस कानून को लागू किया गया है। भर्ती परीक्षाओं में नकल और अन्य गड़बड़ियां रोकने और उनसे निपटने के लिए अब तक केद्र सरकार और जांच एजेंसियों के पास कोई ठोस कानून नहीं था। हाल ही में नीट परीक्षा को लेकर विवाद चल रहा है और यूजीसी नेट परीक्षा को आयोजित होने के एक दिन बाद ही रद्द कर दिया गया। इसके बाद, कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने 21 जून की रात इस कानून की अधिसूचना जारी की। यह कानून लाने का फैसला सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। इस कानून के लागू होने के बाद अब पेपर लीक करने का दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की कैद से लेकर 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।

नए कानून के तहत पेपर लीक करने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई

नए एंटी पेपर लीक कानून के तहत, पेपर लीक करने या आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर कम से कम 3 साल जेल की सजा होगी। इसे 10 लाख तक के जुर्माने के साथ 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के अनुसार कारावास की अतिरिक्त सजा दी जाएगी। परीक्षा संचालन के लिए नियुक्त सर्विस प्रोवाइडर अगर दोषी होता है तो उस पर 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना होगा। सर्विस प्रोवाइडर अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो उससे परीक्षा की लागत वसूली जाएगी। साथ ही, सेवा प्रदाता को 4 साल की अवधि के लिए किसी भी सार्वजनिक परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी से भी रोका जा सकता है। यदि कोई संस्था संगठित अपराध करने में शामिल है, तो उसकी संपत्ति कुर्की और जब्ती के अधीन होगी और परीक्षा की आनुपातिक लागत भी उससे वसूली जाएगी। यदि अपराध किसी निदेशक, वरिष्ठ प्रबंधन या सेवा प्रदाता फर्म के प्रभारी व्यक्तियों की सहमति या मिलीभगत से किया गया है, तो उन्हें तीन से 10 वर्षों की जेल और एक करोड़ रुपये जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।

गत 12 फरवरी को संसद के बाद राष्ट्रपति से मिली थी नए कानून को मंजूरी

पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, इसी साल 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा से पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 12 फरवरी को बिल को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया गया था। इस कानून में संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड, बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की परीक्षाएं शामिल होंगी। केंद्र के सभी मंत्रालयों, विभागों की भर्ती परीक्षाएं भी इस कानून के दायरे में होंगी। इसके तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।

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