मुंगेर : अमीर-ए-शरीयत, हजरत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी और सज्जादा नशीं खानकाह रहमानी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्यता, कार्यकारिणी और सचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। यह निर्णय उन्होंने गहरे विचार-विमर्श और व्यापक परामर्श के बाद लिया है। अपने इस्तीफे में उन्होंने पिछले दो वर्षों में बोर्ड के सदस्यों के साथ शरीयत की हिफाजत और देशभर के मुसलमानों के अधिकारों और सम्मान को बढ़ाने की संघर्ष का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गर्व का विषय था कि वे इस महत्वपूर्ण मिशन का हिस्सा बने।
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान परिस्थितियों में बोर्ड के आंतरिक संचार, निर्णय लेने की प्रक्रिया, पूर्वजों की इस्लामी सोच, बोर्ड के उद्देश्यों और इमारत ए शरिया के साथ सामंजस्य की कमी के कारण वे अपनी जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाने में असमर्थ महसूस कर रहे थे। साथ ही उन्होंने बोर्ड के अध्यक्ष और महासचिव के साथ प्रभावी सामंजस्य और विश्वास पर आधारित संबंध स्थापित करने में आने वाली चुनौतियों का भी जिक्र किया।
यह भी देखें :
उन्होंने आगे कहा कि वे मुसलमानों की एकजुटता, एकता और भलाई के लिए अपनी ऊर्जा को समर्पित करने और इस मिशन में पूर्ण निष्ठा के साथ सेवाएं देने का दृढ़ संकल्प रखते हैं। इस्तीफे में उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मिशन और प्रयासों की सराहना की और बोर्ड के उद्देश्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। साथ ही उन्होंने प्रार्थना की कि बोर्ड अपने लक्ष्यों को हासिल करे और मुसलमानों की समस्याओं के समाधान में अपनी भूमिका निभाता रहे। मौलाना ने इस बात पर गहरा दुख और खेद व्यक्त किया कि जनाब कमाल फारूकी साहब जिन्होंने दशकों तक बोर्ड की सेवा की। उन्हें बिना किसी परामर्श और सलाह के कार्यकारिणी से हटा दिया गया। उन्होंने इस प्रक्रिया को अनुचित करार दिया।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता, जनाब एमआर शमशाद साहब ने भी कार्यकारिणी से इस्तीफा दिया। जिसे भी बिना किसी परामर्श के तुरंत स्वीकार कर लिया गया। बोर्ड ने अभी तक अमीर-ए-शरीयत के इस्तीफे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। आगे की जानकारी के लिए बोर्ड द्वारा जारी होने वाली आधिकारिक सूचना का इंतजार किया जा रहा है।
यह भी पढ़े : सफियासराय पुलिस की बड़ी कामयाबी, अवैध हथियार के साथ एक तस्कर गिरफ्तार
कुमार मिथुन की रिपोर्ट