रांची: बालू संकट – झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के अंतिम दिन भाजपा विधायक शशि भूषण मेहता ने राज्य में बालू की उपलब्धता को लेकर सरकार पर कड़ा प्रहार किया। पांकी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मेहता ने हाथ में बैनर लेकर सदन में प्रवेश किया। बैनर पर लिखा था, “पीएम अबुआ आवास का निर्माण ठप, बालू उपलब्ध कराए सरकार।”
विधायक मेहता ने कहा कि राज्य में बालू संकट के चलते सभी प्रकार के निर्माण कार्य ठप हो गए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, अबुआ आवास योजना, पुल-पुलिया निर्माण, निजी अपार्टमेंट निर्माण और छोटे निर्माण कार्य तक प्रभावित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि बालू की अनुपलब्धता के कारण झारखंड के करीब 45 लाख मजदूर बेरोजगार हो गए हैं, और उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।
बालू संकट से पलायन की स्थिति
विधायक ने मजदूरों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पलायन एक बड़ी समस्या बन चुकी है। उन्होंने कहा, “झारखंड के मजदूर बालू की अनुपलब्धता के कारण दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं। वहां उन्हें न्यूनतम मजदूरी पर काम करना पड़ रहा है। कई मामलों में मजदूरों की मौत हो जाती है, और उनके शव ही घर लौटते हैं। यह सरकार की नीतिगत असफलता का परिणाम है।”
कालाबाजारी और काले व्यापार का आरोप
बालू की कालाबाजारी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए विधायक ने कहा कि “राज्य में बालू बोरे में बेचा जा रहा है। 45 से 50 रुपये प्रति बोरे में मजदूर नदी से बालू उठाकर बेचने को मजबूर हैं।” उन्होंने इसे बालू माफियाओं की साजिश और प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम बताया। विधायक ने सरकार से मांग की कि बालू की काले बाजार में बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए और इसे आम जनता के लिए सुलभ बनाया जाए।
पिछली सरकार की तुलना
शशि भूषण मेहता ने वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार की तुलना पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार से करते हुए कहा, “पिछली सरकार के समय बालू की स्थिति इतनी दयनीय नहीं थी। तब निर्माण कार्य सुचारू रूप से चलते थे। लेकिन मौजूदा सरकार की नीतियों की वजह से बालू की आपूर्ति बाधित हो रही है। बालू का अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश और बिहार भेजा जा रहा है, जबकि झारखंड के लोग संकट झेल रहे हैं।”
सरकार से आग्रह और चेतावनी
विधायक मेहता ने हेमंत सोरेन सरकार से आग्रह किया कि बालू संकट को तुरंत हल किया जाए। उन्होंने कहा, “हम सरकार से अपील करते हैं कि बालू को सुलभ और किफायती बनाए। निर्माण कार्य शुरू होने चाहिए, ताकि मजदूरों को रोजगार मिले और राज्य में विकास कार्य गति पकड़ें।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने तत्काल कोई कदम नहीं उठाया, तो वे इस मुद्दे को लेकर धरने पर बैठने और आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे।
मेहता ने कहा कि वह इस मुद्दे को विधानसभा में बार-बार उठाएंगे और सरकार को इसे हल करने के लिए मजबूर करेंगे। उन्होंने कहा, “बालू संकट झारखंड के विकास और जनता की बुनियादी जरूरतों से जुड़ा मुद्दा है। इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। सरकार को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए और राज्य के लोगों को इस संकट से राहत दिलानी चाहिए।”
झारखंड में बालू संकट न केवल एक प्रशासनिक मुद्दा है, बल्कि यह राज्य के विकास कार्यों और मजदूरों की आजीविका पर सीधा प्रभाव डाल रहा है। विधायक शशि भूषण मेहता के बयान ने इस समस्या को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस गंभीर समस्या को हल करने के लिए क्या कदम उठाती है।