Ranchi News-चुनाव आयोग को भेजा गया पत्र -मुख्यमंत्री कार्यालय के द्वारा चुनाव आयोग को
भेजे गये पत्र को निशिकांत दुबे के द्वारा ट्वीट किये जाने पर
झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए बेहद चिंता की बात है
और संवैधानिक संस्थाओं की गोपनीयता खुलम-खुल्ला उल्लंघन है.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड में कुछ दिनों से राजनीतिक प्रदूषण फैला हुआ है
और निशिकांत दुबे राजनीतिक उद्दंडता की पहचान बन चुके हैं.
चुनाव आयोग को भेजा गया पत्र निशिकांत के हाथ कैसे लगी?
जिस पत्र को चुनाव आयोग को भेजा गया था
वह किन परिस्थितियों में निशिकांत दुबे के हाथ लगी,
क्या अब यह नहीं माना जाय कि चुनाव आयोग
अपना हर काम निशिकांत दुबे से पूछ कर करता है.
चुनाव आयोग को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि
उसका डॉक्यूमेंट किसी प्राइवेट हाथ में कैसे गया?
मामले का संज्ञान लेते हुए जिम्मेवार अधिकारियों पर अविलम्ब कार्रवाई करनी चाहिए.
हम हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं. क्या यह इस बात का जीता जागता सबूत नहीं है
संवैधानिक संस्थाओं पर भाजपा के कब्जे का सबूत है यह पत्र
कि हर संवैधानिक संस्थाओं पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हो चुका है.
राज्यपाल से यूपीए विधायकों के मिले हुए 5 दिन हो गए हैं,
लेकिन अब तक कोई उसका कोई स्पष्टीकरण राजभवन की ओर से नहीं भेजा गया.
यह सोची समझी साजिश के तहत किया जा रहा है. कल विश्वास मत प्राप्त होता है और
कल ही पत्र जारी कर दिया जाता है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हम पहले से मजबूत ही हुए हैं.
विश्वास मत पर मतदान के दौरान भाजपा का उसका बहिष्कार करना उसकी मजबूरी थी,
भाजपा पर मंडरा रहा था क्रॉस वोटिंग का खतरा
क्योंकि उसके सामने क्रास वोटिंग का खतरा मंडरा रहा था.
भाजपा पूरे देश में संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा जमा रही है.
लेकिन झारखंड अपनी पहचान से कभी पीछे नहीं हट सकता.
खतियान ही हमारी पहचान. हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं,
और यह यदि मुख्यमंत्री कार्यालय से लीक हुआ है, तो यह और भी गंभीर मामला है.
चुनाव आयोग को भेजा गया पत्र निशिकांत दुबे ने किया था ट्वीट
इस मामले की शुरुआत दरअसल निशिकांत दुबे के एक ट्वीट से होती है,
जिसमें निशिकातं दुबे यह आरोप लगाया है कि
चुनाव आयोग को सीएम कार्यालय से भेजे गये पत्र में
मुख्यमंत्री का हस्ताक्षर उनका वास्तविक हस्ताक्षर नहीं है,
निशिकांत दुबे ने लिखा कि मुख्यमंत्री का हस्ताक्षर और इस हस्ताक्षर में जमीन आसमान का अंतर है.
लगे हाथ निशिकातं दुबे ने चुनाव आयोग को यह सलाह भी दे डाली है कि
मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर का फॉरेंसिंक जांच और सीबीआई जांच होनी चाहिए.
दोनों हस्ताक्षर में जमीन आसमान का अंतर है, रोने,पीटने,भजन करने वाले,
टिमटिमाने वाले,बिलबिलाने वाले बुद्धिजीवी व पत्रकारों.