गुरु तेग बहादुर के 400वीं प्रकाश उत्सव पर शबद कीर्तन, जानिए कैसे 14 वर्ष की आयु में मुगलों का किया था सामना

धनबाद : सिख पंथ के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह की 400वीं प्रकाश उत्सव के मौके पर झारखंड मैदान धनबाद में अरदास, शबद कीर्तन और गुरुवाणी का आयोजन किया गया. सेंट्रल गुरुद्वारा कमेटी के साथ-साथ कई अन्य गुरुद्वारे से आए सिख संगत ने अपने शबद कीर्तन से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. मौके पर सामूहिक अरदास का भी आयोजन किया गया.

बता दें कि अमृतसर में जन्मे गुरु तेग बहादुर गुरु हरगोविन्द जी के पांचवें पुत्र थे. 8वें गुरु हरिकृष्ण राय जी के निधन के बाद इन्हें 9वां गुरु बनाया गया था. इन्होंने आनन्दपुर साहिब का निर्माण कराया और ये वहीं रहने लगे थे. गुरु तेग बहादुर बचपन से ही बहादुर, निर्भीक स्वभाव के और आध्यात्मिक रुचि वाले थे. मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया. इस वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया.

उन्होंने मुगल शासक औरंगजेब की तमाम कोशिशों के बावजूद इस्लाम धारण नहीं किया और तमाम जुल्मों का पूरी दृढ़ता से सामना किया. औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने को कहा तो गुरु साहब ने कहा कि शीश कटा सकते हैं लेकिन केस नहीं.

रिपोर्ट : राजकुमार जायसवाल

पटना साहिब गुरुद्वारा में भीड़, श्रद्धालु कोरोना गाइडलाइन के प्रति नहीं दिखे जागरूक

Share with family and friends:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *