वैशाली में जगमगाया नया बौद्ध तीर्थ: बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय बना विदेशी सैलानियों की आस्था का केंद्र। वैशाली में जगमगाया नया बौद्ध तीर्थ, जहां पत्थरों में बसी है शांति की अनमोल कहानी। बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय: पावन अस्थि कलश के दर्शन को उमड़ रहे विदेशी श्रद्धालुओं। मुख्यमंत्री नीतीश के विजन का अद्भुत नमूना, 72 एकड़ में फैला अलौकिक स्मृति स्तूप। वैशाली से दुनिया तक: धार्मिक पर्यटन से विदेशी मुद्रा अर्जन का नया केंद्र बना बौद्ध संग्रहालय
वैशाली: बिहार की ऐतिहासिक धरती पर बसा वैशाली, अब दुनिया के बौद्ध मानचित्र पर दिखाई देने लगा है। हाल ही में तैयार हुए इस बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप में विदेशी सैलानियों और बौद्ध धर्मावलंबियों का आना शुरू हो गया है। वैशाली बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए तीर्थ तो था ही मगर पहले यहां आने वालों की संख्या कम थी। मगर अब ये बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए न केवल पर्यटन का केंद्र बन चुका है बल्कि आकर्षण का केंद्र बन कर उभरा है।
पावन अस्थि कलश की परिक्रमा को उमड़ने लगे सैलानी
बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप में भगवान बुद्ध का पावन अस्थि कलश रखा गया है। ये इस स्मृति स्तूप की सबसे बड़ी खासियत है। अस्थि कलश को देखने और इसकी परिक्रमा करने विदेशी सैलानियों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है।
वास्तुकला का अद्भुत नमूना है स्मृति स्तूप
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विजन के आधार पर बना वैशाली का ये स्मृति स्तूप गुलाबी पत्थरों तैयार किया गया है। जो भव्य वास्तुकला का नमूना है। 72 एकड़ में फैला यह शांत और रमणीक परिसर सैलानियों के लिए मनमोहक और शांति देने वाला है। जहां आकर विदेशी सैलानी अपने धार्मिक इतिहास की खुशबू को यहां की हवा और मिट्टी में महसूस कर सकते हैं।
अलौकिक अनुभव करा रहा यह केंद्र
यह बुद्ध संम्यक संग्रहालय बिहार की विरासत और धार्मिक शांति का अनूठा केंद्र बन कर उभर रहा है। यहां आने वाले आगंतुकों को अनोखा आध्यात्मिक अनुभव हो रहा है। खास बात ये है कि संग्रहालय के भीतर विराजमान भगवान बुद्ध के पावन अवशेष श्रद्धालुओं को गहन शांति और आस्था से भर दे रहे हैं। जो इसे अलौकिक बना रहा है।
न केवल धार्मिक, विदेशी मुद्रा अर्जन का जरिया भी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर बने इस संग्रहालय ने न केवल वैशाली को वैश्विक पहचान दी है, बल्कि यहां धार्मिक पर्यटन की नई लहर भी पैदा कर दी है। पर्यटन विशेषज्ञों के मुताबिक, विदेशी सैलानियों की बढ़ती संख्या से वैशाली की अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी। यह स्थल विदेशी मुद्रा अर्जन का भी मजबूत जरिया बनेगा। अब यह कहना गलत नहीं होगा कि वैशाली का यह नया स्तूप आने वाले समय में दुनिया का सबसे अहम बौद्ध तीर्थ बनकर उभरेगा। जहां शांति की हवा, इतिहास की मिट्टी और पत्थरों में बसी अमर आस्था हर आगंतुक का स्वागत करेगी।
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