डिजीटल डेस्क : Supreme Court ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को झटका दिया है। कोलकाता के पास संदेशखाली कांड की सीबीआई जांच संबंधी जारी कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार की चुनौती वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से मना कर दिया है। साथ ही इसे जुलाई माह के दूसरे हफ्ते तक के लिए स्थगित कर दिया है। इसी क्रम में Supreme Court ने कहा कि इस स्थगन का मतलब यह नहीं है कि संदेशखाली में सीबीआई की जांच प्रभावित होगी या बाधित होगी। सीबीआई की संदेशखाली में जांच यथावत जारी रहेगी।
Supreme Court ने ममता सरकार की चुनौती पर उठाए सवाल
Supreme Court ने ममता सरकार की से संदेशखाली में सीबीआई जांच के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को दी गई चुनौती पर सवाल उठाय़ा। कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से संदेशखाली मामले की सीबीआई जांच के आदेश के के खिलाफ Supreme Court में पश्चिम बंगाल सरकार के अलावा राज्य पुलिस के आईजी, जिला पुलिस के एसपी और स्थानीय थाना प्रभारी की ओर से चुनौती वाली याचिका दायर की गई है। सोमवार को इस मामले की Supreme Court के न्यायमूर्ति बीआर गाभाई और संदीप मेहता की पीठ के सामने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी करते हुए कहा कि संदेशखाली प्रकरण से जुड़े कई अहम तथ्य, जानकारियां और सबूत राज्य पुलिस के पास आई हैं और इसीलिए इस मामले में हाईकोर्ट की सीबीआई जांच के आदेश को अगले 2-3 हफ्ते के लिए स्थगित रखा जाए। इस पर Supreme Court के न्यायमूर्ति बीआर गाभाई और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि संदेशखाली प्रकरण काफी गंभीर है। वहां के हालात को लेकर कई गंभीर आरोप सामने आए हैं। वहां महिलाओं की प्रताड़ना और यौन शोषण तक की शिकायतें आई हैं। साथ ही उनकी जमीन छीन लिए जाने का भी आरोप है। इसीलिए वहां जारी सीबीआई जांच पूर्ववत जारी रहेगी।
Supreme Court ने ममता सरकार के रवैए पर जताई हैरानी
संदेशखाली प्रकरण में सीबीआई जांच का विरोध करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने बीते सप्ताह शुक्रवार को अपना विरोध दर्ज कराते हुए याचिका दायर की थी। बीते शुक्रवार को ही संदेशखाली में सीबीआई की टीम पहुंची थी। सीबीआई की टीम ने संदेशखाली प्रकरण के मुख्य आरोपी शाहजहां शेख के करीबी के यहां से भारी मात्रा में असलहे, कारतूस और बम के अलावा उसमें इस्तेमाल होने वाले बारूद बरामद किए है। उसमें सीबीआई ने रोबोट और एनएसजी की भी मदद ली थी। Supreme Court ने इन नवीनतम तथ्यों के भी आलोक में पश्चिम बंगाल सरकार के रवैये पर हैरानी जताया। Supreme Court ने कहा कि राज्य सरकार एक निजी व्यक्ति के खिलाफ जांच का विरोध कर रही है, जिसपर गंभीर आरोप हैं। मामला Supreme Court में लंबित होने का हवाला देकर पश्चिम बंगाल सरकार हाईकोर्ट में कोई लाभ लेने की भी कोशिश न करे।