रांची: झारखंड की राजनीति में इस बार चुनावी तीर सीधे सोशल मीडिया के मैदान में चल रहे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर भाजपा के ‘वीडियो पोस्ट’ को निशाना बनाते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की। चुनाव आयोग ने भी बिना समय गंवाए झारखंड के सीईओ को आदेश दिया—”पोस्ट हटाओ, और नोटिस भेजो!”
मामला गर्म है। आरोप है कि बीजेपी के पोस्ट में सांप्रदायिक तड़का और भ्रम फैलाने वाली मसालेदार सामग्री मौजूद है, जो आदर्श आचार संहिता को ठेंगा दिखा रही है। झारखंड में चुनावी माहौल है, और इस माहौल में ‘नियम-कानून की धज्जियां उड़ाना’ भाजपा का नया ट्रेंड लगता है।
झामुमो ने तो अपने ‘चुनावी तीर’ से सीधा आयोग का किवाड़ खटखटाया। शिकायत की कि “बीजेपी फॉर झारखंड” की आड़ में सोशल मीडिया पर ऐसा कंटेंट परोसा जा रहा है, जैसे हर वोटर के दिमाग में ‘हिंदी ब्लॉकबस्टर’ का एक्शन चल रहा हो।
चुनाव आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत सीईओ को कार्रवाई का फरमान जारी किया। आयोग ने कहा, “भाई साहब, पहली नजर में तो ये पोस्ट आचार संहिता की बत्ती गुल कर रहा है। इसे तुरंत सोशल मीडिया से हटा दो, और बीजेपी को नोटिस थमा दो। आखिर लोकतंत्र में नियम-कानून कोई फिल्म का विलेन थोड़ी हैं, जो जब चाहा कुचल दिया।”
झारखंड में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स अब चुनावी अखाड़े में तब्दील हो गए हैं। ‘एक्स’ (जो पहले ट्विटर हुआ करता था) और फेसबुक पर चल रही पोस्ट की जंग, चुनावी मैदान से ज्यादा रोमांचक हो चली है। एक तरफ चुनाव आयोग की फूंक-फूंककर चलती कदमों की गिनती, तो दूसरी तरफ राजनीतिक दलों की ‘पोस्ट’वार।
जनता के कुछ प्रमुख विचार:
- बीजेपी का नया नारा हो सकता है: “हम पोस्ट नहीं हटाएंगे!”
- चुनाव आयोग को देखकर सोशल मीडिया के पोस्ट अब कह रहे होंगे, “हमें तोड़ दो, मिटा दो, पर ब्लॉक मत करना।”
- जनता सोच रही होगी, “भाई, हमसे भी पूछ लेते! हम खुद ही पोस्ट को ‘स्क्रोल डाउन’ कर देते।”
झारखंड की राजनीति में सोशल मीडिया पर ये पोस्ट-जंग लोकतंत्र की नई परिभाषा गढ़ रही है। लेकिन सवाल उठता है—आचार संहिता का पालन होगा या ‘लाइक-शेयर’ की गिनती ही असली चुनावी जीत बन जाएगी?