रांची: रिम्स निदेशक पद से हटाए गए डॉ. राजकुमार को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने 17 अप्रैल 2025 को जारी डॉ. राजकुमार को पद से हटाने के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है और राज्य सरकार से इस पर जवाब मांगा है। जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने स्पष्ट कहा कि बिना कारण बताए और बिना नोटिस दिए हटाया जाना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
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डॉ. राजकुमार ने अपनी याचिका में बताया कि उन्हें 31 जनवरी 2024 को तीन साल के लिए रिम्स का निदेशक नियुक्त किया गया था। लेकिन बिना किसी पूर्व सूचना के 17 अप्रैल को पद से हटा दिया गया, जो उनके लिए अपमानजनक है। उनके वकील ने दलील दी कि यह कदम प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
वहीं राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि डायरेक्टर पद का कार्यभार किसी अन्य को सौंपा जा चुका है और आदेश पर रोक से व्यवस्थागत कठिनाई आ सकती है। मगर हाईकोर्ट ने सरकार की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि चूंकि सिर्फ कार्यवाहक निदेशक की नियुक्ति हुई है, स्थायी निदेशक की नहीं, इसलिए अव्यवस्था फैलने का तर्क तर्कसंगत नहीं है।
हाईकोर्ट से डॉ. राजकुमार को राहत:
कोर्ट ने यह भी माना कि बिना नोटिस दिए किसी अधिकारी को हटाना कानून सम्मत नहीं है। इसी आधार पर अदालत ने राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी और मामले की अगली सुनवाई 6 मई 2025 को तय की है।
सुनवाई के दौरान डॉ. राजकुमार ने एक अतिरिक्त आवेदन देकर आग्रह किया कि रिम्स को भी इस विवाद में पक्षकार बनाया जाए। हाईकोर्ट ने इस आग्रह को मंजूर करते हुए मुख्य याचिका में संशोधन कर रिम्स को भी पार्टी बनाने की अनुमति दे दी।
15 अप्रैल 2025 को रिम्स शासी परिषद की 59वीं बैठक में मेडॉल जांच घर और हेल्थ मैप के बकाया भुगतान को लेकर तत्कालीन निदेशक डॉ. राजकुमार और स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के बीच तीखी बहस हुई थी। उसी बैठक के दो दिन बाद, 17 अप्रैल की देर रात स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी, जो शासी परिषद के अध्यक्ष भी हैं, ने डॉ. राजकुमार को पद से हटाने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ डॉ. राजकुमार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।