बोकारो : बोकरो हवाई अड्डा स्थित स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो की पुण्यतिथि कुर्मी सेवा संघ के द्वारा मनाई गयी. शनिवार को चास बोकारो के कुर्मी सेवा संघ के द्वारा बोकारो हवाई अड्डा के समक्ष स्वर्गीय बिनोद बिहारी की प्रतिमा स्थल पर उनकी पुण्यतिथि मनाई गई.
मौके पर कुर्मी सेवा संघ के सदस्यों ने बोकारो हवाई अड्डे का नाम स्वर्गीय बिनोद बिहारी हवाई अड्डा रखने की मांग सरकार और जिला प्रशासन से की. कुर्मी सेवा संघ के अध्यक्ष विश्वनाथ महतो ने कहा कि स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो की पार्थिव शरीर सर्वप्रथम बोकारो हवाई अड्डा पर आयी थी. उस समय यहां के जनमानस की यह मांग थी कि बोकारो हवाई अड्डा का नाम स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो हवाई अड्डा होना चाहिए.
बालीपुर प्रखंड के बडवाहा गांव में हुआ था बिनोद बिहारी महतो का जन्म
बता दें कि बिनोद बिहारी महतो का जन्म 23 सितंबर 1923 को धनबाद जिला के बालीपुर प्रखंड के बडवाहा गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम महेंद्र महतो और माता मंदाकिनी देवी था. उनका जन्म कुड़मी महतो के परिवार में हुआ था. उनके पिता किसान थे. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा बालीपुर से की. उन्होंने अपना मिडिल और हाई स्कूल झरिया डीएवी और धनबाद हाई इंग्लिश स्कूल से पूरा किया.
बिनोद बिहारी महतो का निधन 18 दिसंबर 1991 में हुआ. वे एक वकील और राजनीतिज्ञ थे. 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक थे. बिनोद बिहारी महतो 1980, 1985, 1990 में बिहार विधानसभा के तीन बार सदस्य और 1991 में गिरिडीह से लोकसभा के सदस्य थे.
कांग्रेस और जनसंघ से हो गया था मोहभंग
बिनोद बिहारी महतो 25 साल तक कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे. उनका अविश्वास अखिल भारतीय दलों से टूट चुका था. उन्होंने सोचा था कि कांग्रेस और जनसंघ सामंतवाद, पूंजीवादी लिए है. दलित और पिछड़ी जाति के लिए नहीं है. इसलिए इन दलों के सदस्य के रूप में दलित और पिछड़ी जाति के लिए लड़ना मुश्किल होगा. इसके बाद बिनोद बिहारी महतो ने झारखंड मुक्ति मोर्चा गठन का 1972 किया. झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष बिनोद बिहारी महतो ने 1973 में शिबू सोरेन को सचिव बनाया.
रिपोर्ट : चुमन कुमार