गिरफ्तारी वारंट जारी मामले में सरयू राय पर आरोप लगाने बन्ना गुप्ता की जगह आप्त सचिव आए सामने

रांचीः झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने मानहानि मामले में विधायक सरयू राय के खिलाफ चाईबासा के एमपी-एमएलए कोर्ट में 10 मई को शिकायतवाद दाखिल किया था. अदालत में उपस्थित नहीं होने पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. दरअसल सरयू राय ने झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर गलत तरीके से प्रोत्साहन राशि लेने का आरोप लगाया था. इसपर मंत्री ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया है, लेकिन दूसरी ओर निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि उनके नाम से कोई वारंट नहीं जारी हुआ है. जिसको लेकर आज मंत्री बन्ना गुप्ता के आप्त सचिव ओमप्रकाश सिंह में बन्ना गुप्ता के आवास में प्रेस वार्ता कर तमाम चीजों को मीडिया के समक्ष रखी.

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मानहानी मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी की खबर सही

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आप्त सचिव ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि चाईबासा कोर्ट ने वारंट जारी किया है. वारंट जारी होने के मामले को सरयू राय इनकार करते हैं, जबकि उनके खिलाफ वारंट जारी हुआ है. विधायक सरयू राय कहते है कि उनके उपर से चल रहा मुकदमा खारिज हो गया है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि मुकदमा खारिज हुआ तो कौन से मुकदमे में वारंट जारी हुआ है. क्योंकि सरयू राय की आदत है सिर्फ आरोप प्रत्यारोप करना, लेकिन उनके उपर जो आरोप लगता है उसको लेकर आज तक सफाई नहीं दिए हैं.

अभियुक्त के नाम पर व्हाइटनर लगाकर नाम हटाया

ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि डोरंडा थाना में जो प्रोत्साहन राशि को लेकर बन्ना गुप्ता के ऊपर सरयू राय ने आरोप लगाया था. उसमें उनपर मुकदमा दर्ज हुआ था. उस मुकदमे में अभियुक्त के नाम पर व्हाइटनर लगाकर अभियुक्त का नाम हटा दिया गया था. उसमें अन्य कार्यालय कर्मी का नाम दर्ज कर दिया गया था. न्यायलय ने भी इस बात को स्वीकार किया कि अभियुक्त के नाम पर व्हाइटनर लगाया गया है.

तमाम मामलों को लेकर आप्त सचिव ने राज्य के पुलिस महानिदेशक और रांची के वरीय पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि किस परिस्थिति में डोरंडा थाना प्रभारी ने अभियुक्त के कॉलम से मंत्री का नाम हटाया जबकि एफआईआर में छेड़छाड़ करना कानून अपराध है. इन तमाम मामलों के बाद जब विभाग की ओर से संज्ञान लिया गया, तब पता चला कि अभियुक्त के कॉलम से नाम मिटा दिया गया है. जिसको लेकर थाना प्रभारी से जब पूछताछ हुई. तब थाना प्रभारी ने भूल को स्वीकार किया.

 

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