Ranchi- झारखंड में एक कोकस सक्रिय है, जो आदिवासी-मूलवासियों के विकास को किसी भी कीमत पर रोकना चाहती है. बाहरी लोगों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. जबकि आदिवासियों की जनसंख्या में गिरावट जारी है.
बाहरी लोग झारखंड में पैसा लगा कर अनाप-शनाप कीमत पर जमीन की खरीद कर रहे हैं. आदिवासी जमीन का लूट जारी है. 4000 से अधिक ऐसे मामले है जिनमें कोर्ट के आदेश के बावजूद दखल दिहानी नहीं दी गई. रैयत आज भी इंसाफ की आस में बैठा हुआ है. न तो उसके पास इतनी ताकत है और न ही जानकारी की इस मामले में प्रतिकार कर सके. आखिर वह कहां जाए.
अब समय आ गया है जब आदिवासी- मूलवासी बौद्धिक लड़ाई की शुरुआत करें, तब ही अपने हक-हुकुक को सही-सलामत रख पाएंगे.
उक्त बातें आदिवासी बुद्धिजीवी महासमागम को संबोधित करते हुए कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कही. इस अवसर पर बंधु तिर्की ने आदिवासी समुदाय से अपनी सारी समस्यायों के समाधान के लिए बौद्धिक लड़ाई की शुरुआत करने का आह्ववान किया.
बीआईटी मेसरा पर लगा आदिवासियों की जमीन लूट का आरोप, जेएमएम विधायक ने उठाया मामला