बिहार चुनाव में बागियों के तेवर को जनता ने कर दिया ठंडा, मुकेश सहनी और पीके के सपने अधूरे ही रह गये
पटना : बिहार चुनाव में रिकार्डतोड़ वोटिंग के बाद परिणाम ने भी कई रिकार्ड तोड़ दिये हैं। जिसके चलते कई मामलों में यह चुनाव दिलचस्प बन गया है। एक तरफ जनता ने जात-पात से उपर उठ कर विकास को चुना वहीं दूसरी तरफ बागियों को भी अच्छा सबक सिखाया है।
कुल 151 बागियों ने ठोंकी ताल, आठ को ही मिला जीत का सेहरा
बिहार चुनाव में एनडीए,महागठबंधन और जनसुराज से पाला बदल कर दूसरे दलों में 151 प्रत्य़ाशियों ने ताल ठोंकी जिनमें से केवल आठ को ही जीत मिली दस दूसरे नंबर पर रहे बाकि सारे औधे मुँह गिरे हैं।
राजद के पांच बागियों ने जीत दर्ज कराई
ताजा आँकड़ों पर गौर करे तो राजद से बागी हुये कुल 8 नेताओं ने चुनावी मैदान में ताल ठोंकी जिनमें भभुआ से भारती बिंद(जीते) ,मोहनिया से संगीता कुमारी(जीती) ,फुलवारी से श्याम रजक(जीते), शिवहर से चेतन आंनद(जीते),किशनगंज से कमरूल होदा कांग्रेस की टिकट पर जीते और पालीगंज से सुनील यादव(लोजपा की टिकट पर चुनाव हारे। वहीं मनेर से शंकर यादव ने जेजेडी की टिकट पर ताल ठोंकी लेकिन भाई विरेन्द्र से पीट गये।

बीजेपी – जदयू के सिर्फ एक बागी उम्मीदवार को मिली जीत
वहीं बीजेपी – जेडीयू से बागियों की स्थिति पर गौर करे तो जदयू के बागी सीतामढ़ी से कृष्ण कुमार पिंटू भाजपा से जीते, नौतन से बीजेपी के बागी अमित गिरी कांग्रेस की टिकट पर हारे,सोनबरसा से बीजेपी की बागी सरिता देवी ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ी और हार गई, नालंदा से जदयू के बागी कौशलेन्द्र कुमार कांग्रेस की टिकट पर लड़े और हारे, कुम्हरार सीट से बीजेपी के बागी इंद्रदीप चन्द्रवंशी कांग्रेस की टिकट से लड़े पर हार का मुँह देखना पड़ा तो बेलदौर से लोजपा से कांग्रेस में गये मिथिलेश निषाद को भी हार का सामना करना पड़ा।
मुकेश सहनी से प्रशांत किशोर तक सबके सपने, सपने ही रह गये
दरअसल नीतीश – मोदी की जोड़ी ने जो मास्टर स्ट्रोक खेला उसका असर एक इतिहास बन गया और कई नेताओं के मुंगेरी लाल के हसीन सपने धऱाशायी हो गये। इनमें से एक नाम मुकेश सहनी का जो उपमुख्यमंत्री पद का सपना पाले बैंठे थे दूसरे जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर भी रहे तो बिहार बदलने की जिद कर बैठे थे लेकिन जनता का फैसला अब उन्हें सोचने को मजबूर करता दिख रहा है।
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