विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला महासंगम 2023 : मेले के 12वें दिन गयासिर और गयाकूप में पिंडदान का विधान

गया : बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है। पितृपक्ष मेले के 12वें दिन आश्विन कृष्ण दशमी को गया सिर और गयाकूप पर पिंडदान का विधान है। इन वेदियों पर पिंडदान से पितरों को प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। गयाकूप में प्रेत बाधा को दूर किया जाता है। मान्यता है, कि यहां सैकड़ों में प्रेत को कैद कर इस बाधा से पीड़ित पितर को मोक्ष दिलाई जाती है। गयाकूप में स्थित कुएं में नारियल को अर्पित करने के बाद मुड़ कर नहीं देखने का विधान है।

गया सिर में गयासुर का सिर और गयाकूप में नाभि का स्थान

दोनों ही वेदियां प्रमुख वेेदियों में से एक है। गयाजी में त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने जो कोई आते हैं, वह पितृपक्ष मेले के 12 वें दिन गया सिर और गयाकूप में पिंडदान करते हैं। 12वें दिन यानी आश्विन कृष्ण दशमी को इन्हीं दो वेदियों पर पिंडदान का विधान है। मान्यता है कि गया सिर में गयासुर का सिर का स्थान है। वहीं, गया कूप में गयासुर के नाभि का स्थान है। इस तरह इन दोनों ही वेदियों की काफी मान्यता है।

विष्णु पद मंदिर से दक्षिण में स्थित है

विश्व प्रसिद्ध विष्णु पद मंदिर से दक्षिण में गयासिर स्थान है। वहीं पर समीप में ही गयाकूप स्थित है। प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए यहां पिंडदान किया जाता है। गयाकूप के संबंध में मान्यता है, कि यहां पितृ दोष दूर करने के लिए इस वेदी में पिंडदान किया जाता है। प्राचीन काल से गयाकूप में पितृ दोष, त्रिपिंडी दोष को दूर करने के लिए यहां पिंडदान करने की परंपरा रही है।

गयाकूप में पिंडदान से घर की बाधाएं होती है दूूर

गयाकूप के संबंध में कई तरह की मान्यताएं हैं। गयाकूप के संबंध में यह भी मान्यता है कि यहां पिंडदान से पितरों को प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इसके साथ ही यहां पिंडदान से घर की बाधाएं दूर होती है। यहां नारायण बलि श्राद्ध भी तीर्थयात्री करते हैं। इसी स्थान पर प्रेत को शांत कराया जाता है। जिनके घर में प्रेत बाधा होती है, उनके पितर को पिंडदान के उपरांत प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है और घर में सुख शांति आती है। मान्यता है कि सैकड़ों में प्रेत को बांध दिया जाता है और पिंडदान कर्मकांड के बाद पितर को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इसी प्रकार गयाकूप में पिंडदान और नारियल डालकर पीछे मुड़कर नहीं देखने का विधान है। गयाकूप में पिंड और नारियल डालने से पितरों को हर तरह के प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है और वह मोक्ष प्राप्त करते हुए ब्रह्मलोक को प्राप्त होते हैं।

अब तक 7 लाख के करीब पहुंच चुके हैं तीर्थ यात्री

गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है। विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले के 12वें दिन तक करीब सात लाख से अधिक तीर्थयात्रियों के आगमन और पिंडदान कर लेने की जानकारी है। पिंडदानियों के आने और पिंडदान कर लौटने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। गौरतलब हो कि गयाजी में एक दिन, तीन दिन, पांच दिन, सात दिन और 17 दिनों के पिंडदान का विधान है। त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वाले 17 दिनों तक रुकते हैं।

आशीष कुमार की रिपोर्ट

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