Saturday, September 13, 2025

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कई शक्तिपीठों में से एक मां मंगला गौरी का मंदिर, सदियों से प्रज्वलित कि जाती है अखंड ज्योति

गया : बिहार के गया में भारत के 18 महाशक्ति पीठों में से एक मां मंगला गौरी का मंदिर है। मां मंगला गौरी का मंदिर शक्तिपीठ से भारत में विख्यात है। मां मंगला गौरी मंदिर का उल्लेख वायु पुराण, पद्म पुराण, अग्नि पुराण समेत अन्य ग्रंथों में है।यहां सदियों से अनवरत अखंड ज्योति जलती आ रही है।कहा जाता है, कि यहां प्रकाश जलाने पर रोक है। मां मंगला गौरी के इस शक्तिपीठ मंदिर में सिर्फ अखंड ज्योत ही प्रकाशयमान रहती है।

गया ज़िले के भस्म कूट पर्वत पर मां मंगला गौरी का मंदिर स्थित है। इसे देश की 18 महाशक्ति पीठों में से एक शक्तिपीठ में गिना जाता है। मां मंगला गौरी की महिमा का उल्लेख वायु पुराण, अग्नि पुराण, पद्म पुराण समेत अन्य ग्रंथों में लिखी है।यहां माता सती का वक्ष स्थल विराजमान है। इस शक्तिपीठ मां मंगला मंदिर को देश के 18वें शक्तिपीठ मंदिरों में से एक महाशक्ति पीठ में गिना गया है।यहां भक्तों की आस्था है, कि यहां माता मंगला की शक्तिशाली मूर्ति है, माता जी का वक्ष स्थल है।यहां भक्त जो भी मांगे, वह पूरा हो जाता है।

मां मंगला गौरी मंदिर देश के चमत्कारी, मंगलकारी और प्रार्थना स्वीकारने वाली माता के रूप में है। मां मंगला गौरी से जुड़ी कथा के अनुसार राजा दक्ष ने जब यज्ञ किया था, तो उसमें भगवान भोलेनाथ और माता सती को नहीं बुलाया था।फिर भी माता सती ने भगवान शिव से कहा कि मेरे पिता भूल गए होंगे और वह अपने पिता के यहां हो रहे यज्ञ में शामिल होने जा रही है। भगवान शिव के मना करने पर कि राजा दक्ष ने आमंत्रण नहीं दिया है, तो ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है। फिर भी माता सती चली गई, लेकिन वहां पहुंचने पर माता सती का मान मर्यादा नहीं हुआ, तो उन्होंने खुद को अपमानित महसूस किया, उन्हें लगा कि भगवान शिव ने उन्हें मना किया फिर भी वह यहां आई और यहां हमारा अपमान हुआ है।

पुजारी बताते हैं, मां मंगला गौरी मंदिर शक्तिपीठ के नाम से तो जाना ही जाता है। लेकिन कामरू कामाख्या महाशक्ति पीठ उत्पत्ति वाली माता के रूप में भी जानी जाती है।वहीं, मां मंगला गौरी पालन पीठ के रूप में जानी जाती है, क्योंकि यहां माता वक्ष स्थल यही हैं। वहीं ज्वालामुखी जो हिमालय के पास है। वह संहार वाली माता के तौर पर शक्ति पीठ के रूप में पूजी जाती है, तो इस तरह से मां मंगला गौरी माता की महिमा पालनहार के रूप में है। यहां मां मंगला गौरी के गर्भ गृह में जहां वक्ष स्थल विराजमान है, जो कि गुप्त शक्ति पीठ के रूप में मौजूद है। यह लक्ष्मी नारायण की मूर्ति है।वहीं, शंकर पार्वती की भी प्रतिमा है। यहां अखंड ज्योति सदियों से प्रज्वलित होती रहती है, जो आज भी अनवरत प्रज्वलित है।

वहीं, महंत बंटी गिरी बताते हैं, की मां मंगला गौरी मंदिर देश के महाशक्ति पीठ में से एक है।यहां अखंड ज्योति सदियों से प्रज्वलित होती रहती है। यहां लाइट बत्ती बिजली जलाने की मनाही है। यहां मंदिर के गर्भ गृह में सिर्फ अखंड ज्योति प्रज्वलित होती रहती है। मां के ज्योत के माध्यम से ही इस मंदिर में पूजा अर्चना होती है। वहीं, यह भी मान्यता की मां का कुछ हिस्सा मंगला गौरी मंदिर के पीछे वाले भाग में भी गिरा था, जहां भक्त अपना मत्था टेकते हैं और अपना दुखड़ा रोते हैं। कहा जाता है की मां उनकी सुन लेती है और उनके दुख को दूर कर देती है, तो इस तरह से इस मंदिर में भक्तों की मुरादें पूरी होती है।

पुजारी रीना गिरी बताती हैं, मां मंगला गौरी मंदिर में नवरात्र के दिनों में अहले सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमङ पड़ती है।अहले सुबह के दो बजे से ही यहां भक्त आने शुरू हो जाते हैं और कतार खड़े होकर माता के दर्शन का इंतजार करते हैं। सुबह में चार बजे के करीब पट खुलने के बाद माता का श्रृंगार पूजन होता है, जिसके बाद भक्त कतार बद्ध तरीके से मंदिर में प्रवेश कर माता का दर्शन करते हैं और अपनी मन्नते मांगते हैं। इस तरह मां मंगला गौरी मंदिर देश के महाशक्ति पीठ में से एक है और इस मंदिर की महिमा अपरंपार है। तकरीबन देश के सभी राज्यों से भक्तों का यहां आना होता है देश की सभी हिस्सों से भारी संख्या में माता के भक्त यहां दरबार में पहुंचते हैं और जयकारे लगाते हुए अपनी मन्नत मांगते हैं। मान्यता है, कि इस मंगला गौरी मंदिर में माता पालनहार पालन पीठ के रूप में मौजूद है और भक्तों पर अपनी दया दिखाती है। वहीं संबंध में माता के दर्शन करने आए भक्तों ने बताया कि यह शक्तिपीठ काफी शक्तिशाली है। यहां दर्शन करने की इच्छा थी, आज पूरी हो गई है। हम सभी के सुखी होने की कामना को लेकर यहां आए हैं, माता का दर्शन कर धन्य हो गए।

आशीष कुमार की रिपोर्ट

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