पाकुड़. शिक्षा से जुड़ी योजनाओं पर हर वर्ष लाखों-करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं। फिर भी शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होने का नाम नहीं ले रही है। हालात यह है कि कई स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी है। इस कारण पठन-पाठन प्रभावित हो रहा हैं। पाकुड़ में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। यहां सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर भवन तो बनवा दिया, लेकिन पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति करना शायद भूल गई।
शिक्षकों की घोर कमी
हिरणपुर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय घघरजनी में सिर्फ दो शिक्षकों के भरोसे 315 छात्र-छात्राएं हैं। वहीं उत्क्रमित मध्य विद्यालय बरमसिया का भी यही हाल है। यहां चार शिक्षक के भरोसे 396 बच्चे हैं। प्राथमिक विद्यालय हाथकाठी में कुल नामांकन बच्चों की संख्या 182 हैं, जहां सिर्फ एक ही शिक्षक पदस्थापित हैं। हालांकि हाल ही में एक शिक्षक को वहां डिपुटेशन में दिया गया हैं। अगर हम हिरणपुर प्रखंड की बात कर तो यहां कुल 106 विद्यालय हैं, जिसमें 83 सरकारी शिक्षक और 164 सहायक शिक्षक पदस्थापित है।
अगर इसी तरह देखा जाए तो पूरे जिले भर में पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करना बेमानी है। कुछ ऐसे भी स्कूल है, जहां सिर्फ एक ही शिक्षिक के भरोसे ही बच्चों की पढ़ाई हो रही है। बता दें कि हाल ही में जिला परिषद उपाध्यक्ष सह लिट्टीपाड़ा के विधायक प्रतिनिधि अशोक भगत विद्यालय में निरीक्षण करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने शिक्षक की कमी को देखते हुए खुद छात्र-छात्राओं को पढ़ाते हुए नजर आए थे।
भाजपा विधायक का सरकार पर निशाना
वहीं शिक्षा व्यवस्था को लेकर राजमहल के भाजपा विधायक अनंत ओझा ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में बहुत सारी रिक्तियां है। बावजूद इसके शिक्षक की बहाली नहीं की गई है। वहीं विधायक अनंद ओझा ने कहा कि शिक्षा एक ऐसी व्यवस्था है, जो झारखंड के दिशा और दशा को बदल सकती है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर आने वाले विधानसभा सत्र में आवाज उठाएंगे।
पाकुड़ से संजय सिंह की रिपोर्ट