Friday, September 5, 2025

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बिहार में है अफसरशाही, बीजेपी के साथ माले का भी आरोप

PATNA: विपक्ष के बाद अब नीतीश कुमार के सहयोगी भी राज्य में अफसरशाही को लेकर सवाल उठाने लगे हैं. महागठबंधन सरकार में सहयोगी भाकपा माले ने भी माना है कि राज्य में अफसरशाही हावी है. हालांकि माले ने इसके लिए भी बीजेपी को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है. वहीं बीजेपी का कहना है कि जनता की समस्याओं और दुख दर्द को अधिकारी मुख्यमंत्री तक पहुंचने ही नहीं दे रहे .

राज्य को अफसरों के भरोसे छोड़ रहे नीतीश: बीजेपी

बिहार में तंत्र पर अफसरशाही के हावी होने का आरोप नया नहीं है. विपक्षी पार्टियां नीतीश कुमार पर राज्य को अफसरों के भरोसे छोड़ने का आरोप लगाती रही हैं. पहले राजद और दूसरी पार्टियां ये आरोप लगाती थी. अब विपक्ष में बैठी बीजेपी ये आरोप लगा रही है. बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश कुमार के शासनकाल में या तो अफसर सरकार चला रहे हैं या फिर अपराधी सरकार को नियंत्रित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता की सुनने वाला सरकार में कोई भी नहीं है.

बिहार में है अफसरशाही – माले के आरोप ने बढ़ाई नीतीश की चिंता

सत्ताधारी घटक दल माले ने भी माना है कि बिहार में अफसरशाही है. नीतीश कुमार के लिए यह ज्यादा चिंता की बात है. भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल का कहना है कि अफसरशाही की वजह से जन समस्याओं के निवारण में परेशानी आ रही है. हालांकि वो इसके लिए बीजेपी को ही जिम्मेदार ठहराते हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी से जेडीयू ने अलग होकर कुछ महीने पहले ही महागठबंधन की सरकार बनाई है. सरकार में पहले से ही अफसरों का बोलबाला रहा है. और इसके लिए बीजेपी ही जिम्मेदार है.

जेडीयू ने दी सहयोगियों को सलाह

माले के आरोप से जदयू के लिए थोड़ी असहज स्थिति पैदा हो गई है.

ऐसे में पार्टी ने अपने सहयोगियों को सलाह दी है कि इस तरह

की बातों के लिए वो सार्वजनिक मंच का इस्तेमाल न करें.
इधर जनता दरबार में शामिल होने वाले कई लोगों ने समय-समय

पर मुख्यमंत्री से शिकायत की है कि अधिकारी उनकी नहीं सुनते.

जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाधान यात्रा पर निकले थे

तो शुरुआती समय में जहां रुकते थे वहां विधायक, एमएलसी के जाने पर पाबंदी थी.

इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार समीक्षा बैठक

भी की लेकिन विभागीय मंत्री को बैठक में शामिल नहीं कराया जाता.

केवल अधिकारियो को ही समीक्षा करते देखा जाता है.

ऐसे में विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है. लेकिन

जदयू सहयोगी दल माले के हमले से परेशान दिख रही है.

रिपोर्ट: राजीव कमल

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