जयपुरःनिम्स की सीएमडी डा.शोभा तोमर ने आॉडिसी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर डा.शोभा तोमर ने अपनी जीवन यात्रा को विस्तार से रखा। उन्होने कहा कि वे भी एक मध्यम वर्गीय परिवार से आती है। एक मध्य वर्गीय परिवार का जो सपना होता है, उनके जीवन में जो दूश्वारियां होती है, जीवन का जो संघर्ष होता है वह सब कुछ हमने भी भोगा है, जिया है।
अपने संघर्ष को याद करते हुए डा.शोभा तोमर ने कहा कि शुरुआती वर्षों में उन्हे भी अंग्रेजी से थोड़ी दिक्कत थी, लेकिन अपनी मेहनत और समर्पण से अंग्रेजी भाषा पर अपनी पकड़ बनाई। यदि निष्ठा हो तो सब कुछ हासिल किया जा सकता है।
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डा.शोभा तोमर ने बताया कि इसी निष्ठा और समर्पण के बल पर मेडिकल की तैयारी की और नीयत समय साढ़े चार वर्षों में उसे पूरा किया। मेडिकल की पढ़ाई में कभी रटा काम नहीं आता, सोच-समझकर पढ़ाई करनी पड़ती है।
इसी सोच और समर्पण के साथ जब हम लोगों ने 2 जुलाई 2000 को निम्स की शुरुआत की। जिस जगह पर आज निम्स यूनिवर्सिटी खड़ा है, यह जमीन पूरी तरह बंजर और उबड़-खाबड़ जमीन थी। लेकिन मेहनत और ईमानदारी के साथ आगे बढ़ती गई और मंजिल हासिल होता गया।