आदिवासी आईडिया सम्मेलन, इन पांच प्रस्तावों से बदलेगी झारखंड की तस्वीर

Ranchi- आदिवासी आईडिया सम्मेलन- धूमकुड़ीया सभागार, करमटोली चौक में आयोजित आदिवासी बचाओ आईडिया सम्मेलन में कुरमी महतो को आदिवासी (ST) बताने के दावे को असली आदिवासियों के लिए डेथ वारंट बतलाया गया है. सम्मेलन में उन सभी आदिवासी सांसदों विधायकों का 30 अक्टूबर को पुतला दहन करने का निर्णय लिया गया है, जिनके द्वारा इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया गया है, इस मौके पर आदिवासी नेताओं ने कहा है कि यह सिर्फ एक प्रस्ताव भर नहीं है, बल्कि यह आदिवासियों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर है. आदिवासियों के लिए फांसी का फंदा है.

आदिवासी आईडिया सम्मेलन में इन पांच प्रस्तावों पर लगी मुहर

(1) आदिवासी समाज तभी बचेगा जब उसका भाषा, जाति, धर्म, इज्जत, आबादी, रोजगार, चास- वास और संवैधानिक अधिकार की हिफाजत होगी. आदिवासी समाज के सभी सामाजिक -राजनीतिक संगठनों को इस एजेंडा पर काम करना और बोलना जरूरी है.

(2) कुरमी महतो को आदिवासी (ST) बनाना असली आदिवासियों के लिए फांसी का फंदा है. जो आदिवासी एमएलए/ एमपी कुर्मी को एस टी बनाने का अनुशंसा किए हैं, उनका हस्ताक्षर असली एसटी के लिए डेथ वारंट है, अतः ऐसे सभी आदिवासी नेताओं और पार्टियों का 30 अक्टूबर 2022 को 5 प्रदेशों में पुतला दहन किया जाएगा.

(3) 1932 का खतियान झुनझुना मात्र है, कभी लागू नहीं हो सकता है, अतः वैकल्पिक नियोजन के लिए झारखंड सरकार के पास उपलब्ध सभी सरकारी नौकरियों का 90% हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों को और 10% शहरी क्षेत्रों को आवंटित किया जाए. तत्पश्चात प्रखंडवार कोटा बनाकर केवल उसी प्रखंड के आवेदकों से भरा जाए.स इसके अलावे आदिवासी कोटा के दो लाख बैकलॉग नौकरी को अविलंब भरा जाए.

(4) भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों को अविलंब सरना धर्म कोड या

आदिवासी धर्म कोड या कोई भी नाम से धर्म कोड प्रदान किया जाए.

अलग-अलग नाम से प्रकृति पूजकों द्वारा धर्म कोड की मांग

करने वालों के बीच समन्वय बनाया जाए.

(5) आदिवासी महिलाओं को मान-सम्मान, अधिकार प्रदान किया जाए

और 50% आरक्षण सभी मामलों पर प्रदान किया जाए।

12 महिलाओं को उनके सामाजिक योगदान के लिए सम्मान

सम्मेलन में पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, कुंदरेसी मुंडा, आलोका कुजूर,

रजनी मुर्मू, सुनीता मुंडा, निरंजना हेरेंज टोप्पो, प्रेमशिला मुर्मू ,

श्रीमोती हेम्ब्रम, ललिता सोरेन, फुलेश्वरी हेंब्रोम, सुशांति किसकु,

सोनोति किस्कु सहित कुल 12 उपस्थित आदिवासी महिलाओं को समाजसेवा में

सक्रियता के लिए सम्मानित किया गया.

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