डिजीटल डेस्क : CM Yogi की खरी-खरी – अब दुनिया में किसी एक देश की Monopoly संभव नहीं। रविवार को गोरखपुर में गीता प्रेस के स्व. हनुमान प्रसाद पोद्दार (भाईजी) की 132वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के CM Yogi आदित्यनाथ कुछ अलग अंदाज में दिखे।
उनके संबोधन में सियासी पुट भी था और दार्शनिक पुट लिए साहित्यिक चिंतन का भाव भी। लेकिन सियासी अंदाज के अनुरूप भी खूब बोले।
CM Yogi ने कहा – ‘आज की दुनिया की स्थिति इस बात को बताती है कि इसमें आज एकपक्षीय धुर दनिया के अंदर नहीं हो सकता। कोई एक देश कहे कि मेरी Monopoly चलेगी, जो मैं कहूंगा वही होगा, वह अब संभव नहीं हो सकता है’।
‘दुनिया में आज भारत जिसके साथ, वही मजबूत’
CM Yogi आदित्यनाथ ने अपने इसी बात को विस्तार से अपने संबोधन में समझाया भी।
सीएम योगी बोले – ‘दुनिया के अंदर आज यह भी सत्य है कि भारत के कारण कोई भी धुर तब तक मजबूत नहीं हो सकता जब तक कि भारत का स्वर उसके साथ खड़ा नहीं होता है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने देशवासियों के सामने एक नया लक्ष्य रखा है – 2047 में दुनिया को भारत को विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा करना है।
भारत के पास उस प्रकार की संभवानाएं हैं। उस प्रकार की परिस्थितियां भारत के सामने हैं। एक नया भारत आज जिस मजबूती के साथ आगे बढ़ा है, उन स्थितियों में हम भारतवासियों का भी तो कुछ दायित्व बनता है।
हमारे कुछ राष्ट्रीय दायित्व होंगे, हमारे कुछ सामाजिक दायित्व भी होंगे, हमारे अपनी विरासत के प्रति भी तो कुछ दायित्व होंगे और अपने –अपने कर्मक्षेत्र के लिए भी कुछ दायित्व होंगे।
अगर इन सभी दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करते हुए हम आगे बढ़ते हैं तो कोई कारण नहीं कि इससे प्राप्त होने वाली सिद्धि से महापुरुषों को संतुष्टि ना हो’।
CM Yogi बोले – आज का डिजीटल युग वाला दौर हमारे लिए सबसे कठिन
CM Yogi आदित्य़नाथ ने अपने संबोधन में मौजूदा डिजीटल दौर की चुनौतियों, संभावनाओं और हालात पर भी अपना दर्शन रखा।
CM Yogi ने कहा – ‘आज हमारे लिए सबसे कठिन दौर चल रहा है। जब हमलोग डिजीटल मीडिया की तरफ बढ़े हैं, डिजीटल युग की तरफ बढ़े हैं तो इसमें हमारी स्थिति क्या है। हर हाथ में स्मार्ट फोन आ गया है। हर हाथ में टैबलेट आ गया है। हर घर में टेलीविजन आ गया है।
लेकिन इससे सामाजिक मूल्यों का अवमूल्यन भी हुआ है। साहित्य-साधना कहीं न कहीं कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है।
सामाजिक मूल्यों को लेकर के – सांसकृतिक मूल्यों को लेकर के, राष्ट्रीय मूल्यों को लेकर के जिस मजबूती के साथ राष्ट्रीय आंदोलन के स्वर आगे बढ़ने चहिएं, वे स्वर आज मंदित दिखाई देते हैं’।
‘लोककल्याण का भाव सरकार में तो है लेकिन समाज में कमजोर पड़ा, यह चिंतनीय’
CM Yogi ने एक और मसले पर सरल ढंग से अपनी बात को रखा। CM Yogi ने कहा कि – ‘लोककल्याण का भाव सरकार में तो है लेकिन समाज में क्यों कमजोर पड़ रहा है ? इसके बारे में हमारा चिंतन का विषय होना चाहिए।
साहित्य साधना के पक्ष को हम देखेंगे तो यह कभी नहीं हो सकता है कि अगर कोई व्यक्ति अपने घर में सुखचैन का जीवन व्यतीत कर रहा हो, ऐशोआराम का जीवन व्यतीत कर रहा हो और उसके बगल में कोई भूखों मर रहा है – स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में मर रहा है, तो उसकी श्राप पड़ोस में जरूर लगेगी। …याद रखना।
हमारी उस समय का सबसे बड़ा धर्म बनता है कि हम सबसे पहले उसकी सेवा करें जो बगल में है। ये चिंतन हमारा कहां तिरोहित हो रहा है ? इस पर विचार किए जाने की आवश्यकता है।
और इस कार्य को इतना चुपचाप करने की आवश्यकता है जितना चुपचाप श्रद्धेय भाईजी (स्व. हनुमान प्रसाद पोद्दार) ने किया। आप सेवा कार्यक्रम तो चलाएं लेकिन बगल वाले को भी पता न लगे। दान एक हाथ से दे दें तो दूसरे को भी पता न लगे कि आप दान दे रहे हैं।
इतना चुपचाप तरीके से यदि आप गरीब के साथ खड़े होते हैं तो आज जो संकल्पना हमारी बन रही है, उस विकसित भारत के साकार होने – सिद्ध होने में कोई संशय नहीं होगा’।