गिरिडीह: जिले के बगोदर थाना क्षेत्र अंतर्गत हरिहरधाम के पास स्थित “आस्था क्लिनिक” में चिकित्सा लापरवाही के चलते एक दर्दनाक घटना सामने आई है। कथित तौर पर अनुभवहीन स्टाफ और फर्जी डॉक्टरों की लापरवाही के कारण एक गर्भवती महिला और उसके अजन्मे शिशु की मौत हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों और मृतका के परिजनों का आरोप है कि क्लिनिक में प्रशिक्षित डॉक्टरों की बजाय नर्सें इलाज कर रही थीं और खुद को डॉक्टर बताकर मरीजों की जान से खेल रही थीं। इस लापरवाही के कारण गर्भ में ही शिशु की मृत्यु हो गई, जिसके बाद महिला की हालत बिगड़ती गई और उसकी भी मौत हो गई।
जैसे ही यह खबर इलाके में फैली, स्थानीय लोग भारी संख्या में क्लिनिक के बाहर इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए बगोदर थाना प्रभारी, अंचलाधिकारी और कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों को मौके पर पहुंचना पड़ा।
आस्था क्लिनिक में लापरवाही से गई दो जानें –
इस घटना को स्थानीय लोगों ने “मानवता के साथ धोखा” बताया और क्लिनिक संचालकों के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की। हालांकि बाद में मृतका के परिजनों और अस्पताल प्रबंधन के बीच ₹4.5 लाख मुआवज़े पर एक लिखित समझौता हुआ, जिसमें तत्काल ₹1 लाख की राशि परिजनों को दी गई और शेष राशि अगली किश्तों में देने का वादा किया गया।
समझौते के दौरान राजू सिंह, शेख शाहिद, धर्मेंद्र कुमार, मनोज कुमार और प्रदीप कुमार सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।
यह घटना सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि समाज के उस भरोसे की मौत है, जो एक मरीज डॉक्टर पर करता है। अब ज़रूरत है कि प्रशासन इस मामले को महज मुआवज़े तक सीमित न रखे, बल्कि “आस्था क्लिनिक” जैसे अवैध रूप से संचालित केंद्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और फर्जी डॉक्टरों को न्यायिक कठघरे में खड़ा करे।
रिपोर्ट: राज रवानी
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