त्रिपुरा में दो उग्रवादी संगठनों ने छोड़ी हिंसा, किया शांति समझौता

उग्रवादी संगठनों

Desk. बुधवार को भारत सरकार और त्रिपुरा सरकार के साथ त्रिपुरा के दो प्रमुख उग्रवादी संगठन– नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) के प्रतिनिधियों के बीच शांति समझौता पर हस्ताक्षर किया गया है। यह शांती समझौता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हुई है। अब दोनों उग्रवादी संगठन हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में आ गए हैं।

त्रिपुरा में दो उग्रवादी संगठनों ने छोड़ी हिंसा

बताया जा रहा है कि इस समझौते को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में औपचारिक रूप दिया गया, जो इस क्षेत्र में दशकों से चले आ रहे सशस्त्र संघर्ष के अंत का प्रतीक है। इस समारोह की अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण बताया है। शाह ने कहा, “यह हम सभी के लिए खुशी की बात है कि 35 साल से चल रहे संघर्ष के बाद आप हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।”

अमित शाह ने पूर्वोत्तर के विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और इस क्षेत्र और शेष भारत के बीच अंतर को पाटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को श्रेय दिया। शाह ने कहा, जब से पीएम मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, उन्होंने न केवल सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी के माध्यम से, बल्कि दिलों को करीब लाकर पूर्वोत्तर और दिल्ली के लोगों के बीच की दूरी को खत्म करने का काम किया है।

गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर में शांति और समृद्धि लाने के लिए 12 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से 3 त्रिपुरा से संबंधित हैं। इसमें कहा गया है, “मोदी सरकार की पहल पर लगभग 10 हजार लोगों ने हथियार छोड़ दिए हैं और मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।”

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