रांची: झारखंड में सहायक आचार्य (कक्षा 6 से 8) के पदों पर चल रही नियुक्ति प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। झारखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को निर्देश दिया है कि वह दो वर्षीय बीएड कोर्स करने वाले अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन करे और उन्हें भी नियुक्ति प्रक्रिया में पात्र माना जाए।
याचिकाकर्ताओं को मिली बड़ी राहत
यह आदेश न्यायमूर्ति दीपक रोशन की एकल पीठ ने दिया है। याचिका दाखिल करने वाले अभ्यर्थियों ने मांग की थी कि केवल दो वर्षीय बीएड डिग्री होने के आधार पर उन्हें नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर करना अनुचित है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने अदालत में पक्ष रखा।
जेएसएससी ने किया था अपात्र घोषित
जेएसएससी ने पहले इन अभ्यर्थियों को एक वर्षीय बीएड कोर्स नहीं करने के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया था। लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दो वर्षीय बीएड कोर्स भी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा मान्य है, इसलिए ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर नहीं किया जा सकता।
अदालत का स्पष्ट निर्देश
कोर्ट ने आदेश में कहा कि “कोई भी अभ्यर्थी केवल इसलिए अपात्र नहीं हो सकता क्योंकि उसने एक वर्ष के बजाय दो वर्ष का बीएड कोर्स किया है। ऐसे सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन किया जाए और योग्य अभ्यर्थियों को प्रक्रिया में शामिल किया जाए।”
हजारों बीएड अभ्यर्थियों के लिए उम्मीद की किरण
यह फैसला राज्य के हजारों ऐसे बीएड अभ्यर्थियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो शिक्षक बनने के लिए वर्षों से तैयारी कर रहे हैं और सिर्फ तकनीकी कारणों से बाहर किए जा रहे थे।
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