रांची: झारखंड समेत देश भर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में नए शैक्षणिक सत्र की प्रवेश प्रक्रिया जारी है। इसी बीच UGC ने रैगिंग को रोकने के लिए देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को कड़े निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने साफ कहा है कि अब रैगिंग सिर्फ शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न तक सीमित नहीं होगी, बल्कि जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र, रंग, लिंग, जन्म स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि पर की गई कोई भी टिप्पणी भी रैगिंग की श्रेणी में आएगी।
UGC ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को एंटी-रैगिंग कमेटी का गठन करने का निर्देश दिया है। यह कमेटी कैंपस के संवेदनशील इलाकों जैसे कैंटीन, हॉस्टल, शौचालय, बस स्टॉप और अन्य डार्क जोन का औचक निरीक्षण करेगी। इसके अलावा, उन स्थानों पर CCTV कैमरे लगाने को भी कहा गया है जहां आमतौर पर निगरानी नहीं होती।
छात्रों को देना होगा शपथ पत्र:
अब प्रवेश प्रक्रिया के दौरान छात्रों और उनके अभिभावकों से एक शपथ पत्र (Affidavit) लिया जाएगा, जिसमें छात्र लिखित रूप से यह वचन देगा कि वह किसी भी प्रकार की रैगिंग में शामिल नहीं होगा। यह शपथ पत्र एक कानूनी दस्तावेज होगा और उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई की जाएगी।
वेबसाइट पर कमेटी की जानकारी अनिवार्य:
सभी शिक्षण संस्थानों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि एंटी-रैगिंग कमेटी के सदस्यों के नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल और लैंडलाइन की जानकारी संस्थान की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो। लेकिन झारखंड के कई विश्वविद्यालयों की वेबसाइट पर अभी तक यह जानकारी उपलब्ध नहीं है।
वीडियो के जरिए जागरूकता:
अब UGC छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को जागरूक करने के लिए शॉर्ट वीडियो का सहारा लेगा, जिससे एंटी-रैगिंग संदेश सरल और प्रभावी ढंग से सभी तक पहुंच सके। इससे पहले केवल पोस्टर और वर्कशॉप के जरिए ही रैगिंग के प्रति जागरूकता फैलाई जाती थी।
UGC के इन नए दिशा-निर्देशों का मकसद है कि छात्रों को एक सुरक्षित, सम्मानजनक और भेदभाव रहित शैक्षणिक वातावरण मिल सके, जहां वे बिना डर के पढ़ाई कर सकें।