CHATRA: चतरा जिले के इकलौते सदर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. इस बार सदर अस्पताल की कुव्यवस्था की भेंट एक 27 वर्षीय महिला और उसका अजन्मा बच्चा चढ़ा है. जच्चा- बच्चा की मौत अस्पताल प्रबंधन और यहां के चिकित्सकों की लापरवाही बताने के लिए काफी है.
इस घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर कई सवाल उठाए हैं. परिजनों का कहना है कि जब भर्ती होने के तीन घंटे में महिला का नार्मल डिलीवरी नहीं हो सका तो फिर सिजेरियन क्यों नही किया गया. जबकि सदर अस्पताल में सर्जन चिकित्सक भी उपलब्ध हैं. सदर अस्पताल की चंद दूरी पर ही रेड क्रॉस का ब्लड बैंक भी मौजूद हैं. इसके बावजूद प्रसव के केस में महिला व अजन्मे बच्चे की मौत अस्पताल की अव्यवस्था का पोल खोलने के लिए काफी है.

सदर अस्पताल: घटना के बाद स्वास्थ्य महकमे में मचा हड़कंप

सदर अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है. इस मामले में विभाग का कोई भी बड़ा अधिकारी ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया है. सिविल सर्जन डॉ श्याम नंदन सिंह ने दूरभाष पर बताया कि महिला काफी गंभीर स्थिति में सदर अस्पताल आई थी. चिकित्सकों और कर्मियों ने उसका प्रसव कराने का प्रयास किया. लेकिन इसी दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद उसके शव को एंबुलेंस से उसके घर भेज दिया गया.
आनन-फानन में महिला के शव को उसके घर भेजा

अस्पताल प्रबंधन ने मामले से छुटकारा पाने के लिए आनन-फानन में एंबुलेंस बुलाकर गुपचुप तरीके से महिला के शव को उसके घर भेज दिया. मृतक के परिजनों का आरोप है कि प्रसव पीड़ा से छटपटाती नीतू की मौत सदर अस्पताल में हो गई. परिजनों ने सदर अस्पताल के चिकित्सक व कर्मियों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. परिजनों का कहना है कि यदि चिकित्सकों के द्वारा समय से इलाज शुरू कर दिया जाता तो जच्चा-बच्चा की मौत नहीं होती.