रांची: हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में मार्डन जेल मैनुअल बनाए जाने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई हुई।
अदालत ने सरकार के जवाब पर असंतुष्टि जाहिर की और कहा कि जेल की सुरक्षा को लेकर क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं, इसकी जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।
अदालत ने यह भी पुछा है कि ओपेन जेल में कैदियों को रखने को लेकर क्या कोई नियत है। हजारीबाग जेल में स्वतंत्रता संग्रम से जुड़े दस्तावेज को संरक्षित करने के लिए आइजी जेल के पत्र पर गृह विभाग की ओर से क्या निर्णय लिया गया है? अदालत ने इसकी पूरी जानकारी आठ मई से पहले कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने सरकार के मार्डन जेल मैनुअल के ड्राफ्ट पर न्याय मित्र अभिजीत सिंह सहित सभी पक्षों से सुझाव मांगे हैं। इससे पहले अदालत ने कहा कि ओपेन जेल में क्षमता से मात्र 35 प्रतिशत कैदी स्खे जा रहे हैं। जबकि अन्य जेलों में 90 प्रतिशत तक कैदियों को रखा गया है।
ओपेन जेल में समर्पण करने वाले नक्सलियों को ही रखा जाता है। सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इसको लेकर एसओपी है, जिसके तहत ही सारे काम होते हैं।
जेल मैनुअल के तहत सुरक्षा को लेकर कदम उठाए जा रहे हैं। माह में एक बार सभी डीसी जेल का औचक निरीक्षण करेंगे। जेलकर्मियों का कुछ अवधि के बाद ट्रांसफर होगा, ताकि उनके कैदियों के साथ साठगांठ की संभावना को समाप्त किया जाए। सरकार की और से मो. शहाबुद्दीन ने पक्ष रखा।