डिजीटल डेस्क : Technology का इस्तेमाल करें लेकिन उसका दास न बनें, बोले CM Yogi। शनिवार को यूपी की राजधानी लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट पर ‘गोमती पुस्तक महोत्सव’ के तृतीय संस्करण का CM Yogi आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने काफी अहम संबोधन भी दिया।
CM Yogi ने कहा कि – ‘आज के डिजिटल युग में सभी लोग स्मार्टफोन जैसी युक्तियों के पराधीन हो चुके हैं। पहले तकनीक का उपयोग मनुष्य करता था, अब तकनीक मनुष्य का उपयोग कर रही है। टेक्नोलॉजी का उपयोग करना अच्छी बात है लेकिन हम टेक्नोलॉजी के दास बन जाएंगे, तो यह देश व समाज के लिए उचित नहीं होगा’।
CM की चिंता –रोजाना डिजिटल प्लेटफॉर्म पर 6 घंटे बिता रहे युवा
CM Yogi आदित्यनाथ ने कहा कि – ‘आज युवाओं की 24 घंटे की दिनचर्या में औसतन 6 घण्टे स्मार्टफोन अथवा किसी अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर व्यतीत होते हैं। युवा अपने जीवन का लगभग एक चौथाई हिस्सा यदि किसी अन्य सार्थक कार्य में लगायें, तो यह उसके स्वास्थ्य व देश तथा समाज के लिए उपयोगी हो सकता है।
…यही कारण है कि अच्छे लेखन तथा लेखकों के प्रति आम जनमानस का रुझान कम होता जा रहा है। हमें पढ़ने की रूचि विकसित करनी होगी। यदि युवा डिजिटल दुनिया के साथ-साथ कुछ समय रोचक पुस्तकों को पढ़ने तथा रचनात्मक कार्यों में व्यतीत करेंगे, तो उन्हें इसका लाभ प्राप्त होगा।
… हमारा प्रयास होना चाहिए कि पाठ्यक्रम की पुस्तकों के साथ-साथ बच्चों को ऐसी पुस्तकें दें, जो उनके मन में नए भाव को जागृत कर सकें। छात्र-छात्राओं को पुस्तकों का अध्ययन तथा मनन कर अच्छी बातों को अपने जीवन में उतारने का कार्य करना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि ‘व्हेन सिटीजंस रीड द कंट्री लीड्स’ अर्थात् जब लोग पढ़ते हैं, तो देश आगे बढ़ता है। देश को आगे बढ़ाने के लिए हम सबको अच्छी कृतियों के प्रति आग्रही बनना पड़ेगा’।
बोले CM Yogi – गोमती केवल नदी नहीं, बल्कि यह एक संस्कृति भी
CM Yogi आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में आगे कहा कि – ‘गोमती केवल नदी नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृति भी है। देश में नदियां संस्कृति के रूप में मान्य रही हैं। हम सभी ने उस संस्कृति को सभ्यता के साथ जोड़ा है। दुनिया की सभी प्राचीन संस्कृतियां किसी न किसी नदी के तट पर विकसित हुई हैं।
…उत्तर प्रदेश इस दृष्टि से बहुत सौभाग्यशाली है कि आम जनमानस की सुविधा हेतु वैदिक संस्कृत को व्यावहारिक संस्कृत का स्वरूप प्रदान करने वाले महर्षि वाल्मीकि ने उत्तर प्रदेश की धरती पर जन्म लिया। उन्होंने रामायण के रूप में दुनिया का पहला महाकाव्य रचा था। समय के अनुरूप संस्कृत के अतिरिक्त अन्य भाषाओं में भी साहित्य का सृजन किया गया।
…गोस्वामी तुलसीदास जी ने जब रामायण की रचना संस्कृत में करना प्रारम्भ किया, तो वह जितना लिखते थे, उतना गायब हो जाता था। कहा जाता है कि हनुमान जी ने उन्हें दर्शन देते हुए कहा कि रामायण की रचना स्थानीय भाषा में करें। तब उन्होंने श्रीरामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की।
…आज प्रत्येक घर में श्रीरामचरितमानस का पाठ अवधी भाषा में किया जाता है।
…हम सभी उस महान परम्परा के वारिस हैं, जहां युद्ध भूमि में श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ की रचना की जाती है। 5,000 वर्षों से श्रीमद्भगवद्गीता हम सभी के लिए प्रेरणा का केन्द्र बनी हुई है। कुरुक्षेत्र धर्म क्षेत्र हो गया। आज भी प्रत्येक सनातन धर्मावलम्बी कुरुक्षेत्र जाकर प्राचीन कूप में स्नान करने की इच्छा रखता है।
… भारत की परम्परा प्राचीन काल से ही ज्ञान के प्रति आग्रही रही है। यह परम्परा मूल रूप से श्रवण, मनन, और निदिध्यासन की है। अर्थात् सुनना, मनन करना तथा सद्विचारों का अपने जीवन में आचरण करना। श्रीमद्भागवतगीता में व्यक्त किया गया ’न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते’ का भाव हम सबको प्रेरणा प्रदान करता है।
…एक कालखण्ड के बाद हमारी ऋषि परम्परा को इस बात का एहसास हुआ होगा कि एक समय ऐसा भी आएगा, जब लोग इस परम्परा के प्रति आग्रही नहीं बन सकेंगे, तो लखनऊ के समीप स्थित सीतापुर के नैमिषारण्य में भारत की वैदिक ज्ञान की परम्परा को हजारों ऋषि मुनियों ने अपने चिंतन तथा मनन से लिपिबद्ध किया था। परिणामस्वरूप नैमिषारण्य एक तीर्थ के रूप में विकसित हुआ’।
बोले CM Yogi – कालजयी रचनाओं के लिए रचनाकारों के प्रति हो सम्मान का भाव, उनकी कृतियां घर-घऱ पहुंचें
इसके पूर्व CM Yogi आदित्यनाथ ने पुस्तकों के स्टॉलों का अवलोकन किया तथा बच्चों से संवाद कर उन्हें पुस्तकें व चॉकलेट भेंट कीं। CM Yogi ने कहा कि – ‘… हमें कालजयी रचनाओं को आगे बढ़ाने के लिए लेखकों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ आम जनमानस को भी जागरूक करना चाहिए।
…कालजयी रचनाएं लिखने वाले लेखकों के प्रति सम्मान का भाव होना चाहिए। उनकी कृतियों को घर-घर तक पहुंचाने का कार्य किया जाना चाहिए। भारत की परम्परा इस कार्य के साथ सदैव जुड़ी रही है। पाठकों को इस कार्य के साथ जोड़ने के लिए तैयार होना होगा। चिंतन की परम्परा को विकसित करना होगा।
…लेखकों को बच्चों, युवाओं तथा वृद्धजन आदि से सम्बन्धित अलग-अलग विषयों पर कालजयी रचनाएं लिखनी पड़ेंगी। पाठकों की रुचि का पूरा ध्यान रखना होगा। एक समय था जब लोग मोटे-मोटे ग्रंथ खरीदते थे। आज के समय में लोगों को कम पेज की रचनात्मक कृतियों को रोचक तरीके से उपलब्ध कराने पर ध्यान देना होगा।
…लेखकों, समाज के सुधीजनों और नेतृत्व वर्ग से लेखन कार्य का आह्वान है ताकि इससे आने वाली पीढ़ियों तथा समाज को मार्गदर्शन प्राप्त हो सके।
…गोमती पुस्तक महोत्सव ऊंचाइयां प्राप्त करेगा। हमें प्रदेश की आबादी के अनुरूप देश के सबसे बड़े पुस्तक महोत्सव के रूप में इसे आगे बढ़ाना होगा।
…प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में लखनऊ विकास प्राधिकरण तथा जिला प्रशासन के सहयोग से लखनऊ की जीवनधारा गोमती नदी के तट पर गोमती पुस्तक महोत्सव के तृतीय संस्करण का आयोजन किया जा रहा है। इस पुस्तक महोत्सव का आयोजन 9 से 17 नवम्बर, 2024 तक किया जाएगा। नेशनल बुक ट्रस्ट ने प्रदेश सरकार के साथ मिलकर यह अच्छी पहल की है।
इस पहल को घर-घर तक पहुंचाना होगा। …लखनऊ के साथ-साथ प्रदेश के सभी मण्डल मुख्यालयों पर नेशनल बुक ट्रस्ट के इस प्रयास को आगे बढ़ाना होगा।
जिला प्रशासन प्रयास करे कि इस पुस्तक महोत्सव में अगले 9 दिनों तक लखनऊ की प्रत्येक संस्था की उपस्थिति हो। जो भी व्यक्ति पुस्तक महोत्सव में आएं अपनी रूचि के अनुसार किसी न किसी पुस्तक का क्रय अवश्य करें। यहां उन्हें अपनी रूचि पर टिप्पणी भी देनी चाहिए’।
इस मौके पर नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. मिलिन्द सुधाकर मराठे, निदेशक युवराज मलिक, सीएम के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी, मण्डलायुक्त रोशन जैकब आदि मौजूद रहे।