Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत में न करें ये गलतियां, जानें शुभ योग

Vat Savitri Vrat 2022: ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है.

सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं.

इस साल वट सावित्री व्रत के दिन काफी शुभ योग बन रहा है.

इस व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ सिद्धि योग बन रहा है जो काफी शुभ माना जाता है.

वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) रखने वाली महिलाओं को इस बार एक साथ तीन व्रत का लाभ प्राप्त होगा.

क्योंकि इसी दिन सोमवती अमावस्या भी है और शनि जयंती भी है.

इसके चलते सोमवती अमावस्या के दिन पड़ने वाले वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) का

महत्व ज्यादा बढ़ जाता है. भगवान सूर्य और माता छाया के

पुत्र शनि देव महाराज का जन्म भी ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हुआ था.

सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है.

यह व्रत भी पुत्रवती और सौभाग्यवती होने के लिए रखा जाता है.

वट सावित्री व्रत शुभ योग

इस बार वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) में अद्भुत संयोग बन रहा है. इसमें प्रातः काल से ही सर्वार्थ सिद्धि योग है और सुकर्मा योग है. लगभग 30 साल बाद तीन व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं. और 2 शुभ योग भी एक साथ हैं. इस स्थिति में पूजा का महत्व बढ़ जाता है और महिलाओं को सदा सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है.

वट सावित्री व्रत में न करें ये गलतियां

वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाओं को काला और नीला वस्त्र नहीं पहनना चाहिए. यह अशुभ होता है. सफेद रंग का कपड़ा भी नहीं पहनना चाहिए. और सफेद और नीले रंग का फूल भी पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए.

पहली बार वट सावित्री का व्रत करने वाली महिलाओं को ससुराल में यह व्रत नहीं करना चाहिए. उन महिलाओं को मायके में ही वट सावित्री का व्रत करना चाहिए. और पूजा का सारा सामान भी अगर संभव हो तो मायके से ही मिलना चाहिए.

वट सावित्री का व्रत मासिक धर्म आने वाली महिलाओं को नहीं रखना चाहिए. अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो किसी दूसरी सुहागिन महिला से यह व्रत पूरा करवा लें और खुद दूर बैठकर पूजा सुने.

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