जमुई : जमुई शहर स्थित शगुन वाटिका में प्रसिद्ध नाटक अनारकली का लायंस क्लब के सौजन्य से वीडियो प्रदर्शन किया गया।
डीडीसी सुमित कुमार, एसडीएम अभय कुमार तिवारी, लायंस क्लब के जिला सचिव विजय कुमार सर्राफ ने संयुक्त रूप से निर्धारित कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। जमुई के डॉ. ठाकुर ओम प्रकाश सिंह, डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. अंजनी कुमार सिन्हा, लायन बलदेव प्रसाद भगत, लायन श्रीकांत केशरी, डीडी वर्मा, समाजसेवी मनोज कुमार सिंह, अशोक कुमार सिंह और निर्भय प्रताप सिंह समेत भारी संख्या में प्रबुद्ध जन इस अवसर पर उपस्थित होकर नाटक का वीडियो प्रदर्शन देखा और कलाकारों के लिए ताली बजाकर जमकर तारीफ की। नाटक के मुख्य नायक सलीम की भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएन झा, अकबर का रोल करने वाले जाने-माने समाजसेवी भावानंद और कलाकार डॉ. रिंकी कुमारी समेत कई किरदार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
डॉ. निरंजन कुमार ने अनारकली नाटक से जुड़े कार्यक्रम का मंच संचालन किया और इसे यादगार बनाया। लायंस क्लब जमुई की ओर अतिथियों को पुष्प गुच्छ देकर उन्हें सम्मानित किया गया और उनके प्रति आभार जताया। नाटक का वीडियो प्रदर्शन मनोरंजक माहौल में संपन्न हो गया। अनारकली नाटक का निर्देशन जसवंत लाल नंदलाल ने 1963 में किया था। इसी नाटक पर आधारित फिल्म मुगल-ए-आजम ने खूब ख्याति प्राप्त की। अनारकली लाहौर, पंजाब और पाकिस्तान में रहने वाली मुगल काल के दौरान एक आम लड़की थी। बादशाह अकबर का पुत्र सलीम उससे प्रेम करने लगा। राजकुमार सलीम का इरादा अनारकली से शादी करना और उसे अपनी महारानी बनाना था। समस्या यह थी कि अनारकली एक आम लड़की थी। अकबर को सलीम का उससे प्रेम पसंद नहीं था।
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उन्होंने उसे अनारकली को फिर से देखने से मना किया। राजकुमार सलीम और अकबर बाद में बहुत उग्र हो गए। अकबर ने अनारकली की गिरफ्तारी के आदेश दिए और उसे लाहौर में जेल की काल कोठरी में रखा गया। सलीम अपने दोस्तों के प्रयास से अनारकली को वहां से भगा दिया और उसे लाहौर के बाहरी इलाके में छिपा दिया। उग्र राजकुमार सलीम एक सेना का आयोजन किया और शहर पर हमले शुरू कर दिए। अकबर भी इस युद्ध में कूद पड़े। जल्दी से राजकुमार सलीम के बल को हराया गया। अकबर अपने बेटे के पास दो विकल्प दिया या तो अनारकली आत्मसमर्पण करे या फिर मौत की सजा का सामना करे। राजकुमार सलीम, अनारकली के लिए अपने सच्चे प्यार के खातिर मौत की सजा का फैसला किया। नाटक सलीम, अनारकली और अकबर के बीच घूमता रहता है। नाटक का अंत अनारकली के दीवारों के बीच दफन कर दिए जाने के साथ हो जाता है।
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ब्रह्मदेव प्रसाद यादव की रिपोर्ट