Patna– हम विधायक ज्योति मांझी ने पचास पार कामकाजी महिलाओं को पसंदीदा स्थान पर स्थानान्तरण की सुविधा दिए जाने और आठ मार्च को अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सरकारी छुट्टी घोषित करने की मांग की है.
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बता दें कि अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आठ मार्च ज्योति मांझी को बिहार विधान सभा में आसन की कुर्सी पर बैठाया गया था.
आज पत्रकारों ने ज्योति मांझी से यह जानना चाहा कि विधान सभा की कुर्सी पर बैठने पर कैसा महसूस हो रहा था. इसके जवाब में ज्योति मांझी ने कहा है कि इसके पहले भी विधान सभा की कुर्सी पर बैठाकर सम्मानित किया गया है, यह दूसरी बार है जब इस कुर्सी पर बैठने का मौका रहा है. इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री और विधान सभा अध्यक्ष धन्यवाद के पात्र है. यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही हैं जिन्होने उन्हे अर्स से पर्श पर बिठाया.
जीरो से हीरो बनाने वाले नीतीश कुमार हैं
नीतीश कुमार समाज के हर वर्ग का ख्याल रखते हैं. मुझे जीरो से हिरो बनाया. हम अपने साथ ही सभी महिलाओं के लिए बस दो मांग करते हैं, एक तो अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को कामकाज से छुट्टी और पचास पार की कामकाजी महिलाओं के एच्छिक स्थानान्तरण की सुविधा.
जमीन से उठी नेता मानी जाती है ज्योति मांझी
यहां बता दें कि ज्योति मांझी जमीन से उठी नेता हैं, विधायक बनने के पहले वह ग्राम स्वराज सभा नामक एक गैर सरकारी संगठन चलाकर फतेहपुर सहित गया जिले के कई प्रखंडों में समाज सेवा का कार्य करती थी, खास कर महिलाओं और किसानों के बीच उनका बेहद व्यापक काम-काज था.
समन्वय आश्रम में प्राप्त हुई प्रारम्भिक शिक्षा, समाजसेवी द्वारिका सुन्दरानी के दिशा निर्देशन में आगे बढ़ा जीवन
ज्योति मांझी और उनके पति बालेश्वर मांझी की प्रारम्भिक शिक्षा समन्वय आश्रम, बोध गया में सुप्रसिद्ध समाज सेवी द्वारिको सुन्दरानी के दिशा निर्देशन में हुई थी, समन्वय आश्रम से ज्योति मांझी और बालेश्वर मांझी को समाज सेवा की प्रेरणा मिली. शुरुआती जीवन काफी कठनाइयों में बिता. लेकिन दोनों ने हौसला नहीं छोड़ा, समाज सेवा लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.
रिपोर्ट- प्रणव राज
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