पटना: Let’s Inspire Bihar के अंतर्गत गार्गी अध्याय द्वारा पटना में ‘गार्गी उद्यमी सखी सावन महोत्सव 2025’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य बिहार में महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करना तथा परंपरा से जुड़े रहते हुए आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की दिशा में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करना था। महिला उद्यमिता, संस्कृति और स्वावलंबन के इस भव्य उत्सव में 600 से अधिक महिलाएं बिहार के विभिन्न जिलों से सम्मिलित हुईं, जिनमें महिला उद्यमियों द्वारा लगाए गए स्टॉलों ने उनके हुनर और नवाचार को प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर सभी को संबोधित करते हुए आईपीएस विकास वैभव ने कहा कि हमें महान विदुषी गार्गी वाचक्नवी की दृष्टि को समझना होगा जिनमें सत्य को जानने की प्रबल जिज्ञासा के साथ-साथ विद्वतापूर्वक चुनौती देने का साहस भी था। यदि हम उनके और महर्षि याज्ञवल्क्य के बीच के संवाद का हम स्मरण करेंगे तो निश्चित ही अपने पूर्वजों की उस बृहत दृष्टि को समझ सकेंगे जो सर्वत्र परमतत्त्व के अंश को ही देखता था और जिसमें जाति-संप्रदाय अथवा लिंगभेद से परे व्यक्ति को व्यक्ति को जोड़ने की क्षमता थी।
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आईपीएस विकास वैभव ने कहा कि हमारे पूर्वजों की दृष्टि के कारण ही कालांतर में बिहार महान सभ्यता का केंद्र बन सका था और 2047 तक विकसित भारत के स्वप्न के लिए भी उसी दृष्टि का धारण आवश्यक है। सामाजिक एवं आर्थिक विकास का रथ पुरूष और स्त्री रूपक दो चक्रों पर आधारित है। रथ की गति तीव्र तब ही हो सकती है जब दोनों चक्र सशक्त हों तथा रथ को गति प्रदान करें। इसी उद्देश्य के निमित्त गार्गी अध्याय की स्थापना अभियान के अंतर्गत की गई थी और यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि गार्गी अध्याय आज बिहार में संकल्पित एवं प्रबुद्ध महिलाओं का प्रमुख वैचारिक एवं सामाजिक मंच बन चुका है।
आज स्वैच्छिक रूप से अभियान में सीधे रूप से जुड़ चुके 2,25,000+ व्यक्तियों में से 20,000+ महिलाएं हैं। अभियान के अंतर्गत वंचित विद्यार्थियों के हितार्थ 14 जिलों में 27 केंद्रों पर निःशुल्क पाठशालाएं संचालित की जा रही हैं जिनमें से 10 जिलों में अवस्थित 22 केंन्द्र गार्गी अध्याय से जुड़ीं विदुषियों द्वारा गार्गी पाठशाला के रूप में स्थापित हैं। साथ ही बिहार में उद्यमिता की क्रांति लाने के उद्देश्य से वंचित महिलाओं के लिए भी गार्गी कला कौशल केंद्रों एवं गार्गी कृत्या जैसे प्रयासों से स्वरोजगार के अवसर विकसित किए जा रहे हैं।
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2028 तक बिहार के हर पंचायत में गार्गी अध्याय को विस्तृत करना हमारा लक्ष्य है।इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से मिथिलांचल, मगध, अंग, सीमांचल एवं भोजपुरी क्षेत्र की भाषाओं, रीति-रिवाजों और परंपराओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया। सावन क्वीन, सावन प्रिंसेस और नन्ही परी प्रतियोगिताओं के माध्यम से महिलाओं की बुद्धिमत्ता, संवेदनशीलता एवं वक्तृत्व क्षमता का समन्वित प्रदर्शन देखने को मिला।
कार्यक्रम में बिहार विधान परिषद की सदस्य अनामिका सिंह पटेल, सुप्रसिद्ध लोक गायिका नीतू कुमारी नूतन, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य सुषमा साहू, बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष अप्सरा मिश्रा, डॉ बी प्रियम, डॉ बिंदा सिंह, बिधु रानी सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। निर्णायक के रूप में ऋचा राजपूत, ऋतिका दरबारी और प्रज्ञा सिंह उपस्थित रहीं। बिहार की सुप्रसिद्ध गायिका रितिका राज सिंह को गार्गी वाचक्नवी प्रेरणा सम्मान प्रदान किया गया।
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कार्यक्रम के संचालन में गार्गी अध्याय की मुख्य समन्वयक डॉ प्रीति बाला के नेतृत्व में शायरीन इरम, नेहा सिंह, करिश्मा, नितिका अग्रवाल, शबनम अखौरी, फराह नाज़, नम्रता कुमारी, सुधा रंजन, रूपा मेहता, अंजलि, निशा भगत सहित अनेक महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई। विभिन्न जिलों से आई महिला उद्यमियों को गार्गी उद्यमिता सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के पश्चात यह संदेश स्पष्ट था कि बिहार की महिलाएं परंपरा और आधुनिकता दोनों को आत्मसात कर रचनात्मक योगदान देने में सक्षम हैं। गार्गी अध्याय के माध्यम से यह स्पष्ट हो चुका है कि बिहार की महिलाएं न केवल प्रेरणास्रोत हैं, अपितु विकसित बिहार के निर्माण में अग्रदूत भी बन रही हैं।
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