कोयले से भी काली अपराध की दुनिया

धनबाद : काले हीरे की नगरी धनबाद, यहां की खानों से जितना कोयला निकलता है,

शहर से उतने ही किस्से निकलते हैं अपराध के। ये कोल कैपिटल है और क्राइम कैपिटल भी रहा है,

लेकिन इस काले धुंध के अलावा भी इस शहर में बहुत कुछ है जो आपको आकर्षित करेगा ।

देश की कोयला राजधानी के नाम से मशहूर कोल नगरी धनबाद

कई मायने में बेहद खास है। यहाँ का कोयला सबसे अच्छा माना

जाता है। अपने गर्भ में काले हीरे को समाये इस नगरी के कई रूप

हैं। ये नगरी न सिर्फ अवैध कोयले की अकूत कमाई के लिए

सुर्ख़ियों में रही है बल्कि पिछले तीन दशक मे कोल माफियाओ

और उनके बीच के वर्चस्व की लड़ाई, रंगदारी और हत्याओं के लिए भी बदनाम रहा है।

काले हीरे की नगरी के इतिहास में एक और काला पन्ना दर्ज है। 7 दिसम्बर 1975 को भारत के

इतिहास के सबसे बडी़ खान दुर्घटना धनबाद से 20 किलोमीटर दूर चासनाला में घटी,

सरकारी आँकडों के अनुसार लगभग 375 लोग मारे गये थे।

हालांकि धनबाद के चरित्र का दूसरा पहलू भी है जो इसकी गौरव गाथा बयां करता है।

आईआईटी, मेडिकल कॉलेज और बिनोग बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी जैसे संसथानों ने

इसमें अहम भूमिका निभाई है। जहाँ कभी गैंग्स ऑफ़ वासेपुर के नाम से इलाका थर्राया करता

था वहीं बच्चे अब डॉक्टर, इंजिनियर और आईएएस बन रहै है। वासेपुर के अबू इमरान इसका

उदाहरण हैं जो लातेहार के उपायुक्त हैं |

धनबाद के गोमो का नाम आपने तो ज़रूर सुना होगा तो इस जगह के मशहूर होने की वजह भी जान लिजिए,

नेताजी का धनबाद के पुटकी के निकट बीच बलिहारी बरारी कोक से जुड़ाव रहा है।

यहां उनका आना जाना लगातार बना रहता था। पुटकी में नेताजी के भाई अशोक बोस एक कोयले के कंपनी में कार्यरत थे।

यह घर अब खंडहर में तब्दील हो गया है। 16 जनवरी 1941 नेताजी कोलकाता से

इंश्योरेंस एजेंट जियाउद्दीन के भेष में बीच बलिहारी पंहुचे और गोमो से नेताजी ने 17 जनवरी 1941

को कालका मेल पकड़ कर पेशावर चले गये। इसलिए गोमो स्टेशन और कालका मेल का अपना महत्व है।

2011 भारत की जनगणना के अनुसार धनबाद की आबादी 1,196,214 है। 75.71% धनबाद की औसत साक्षरता दर है।

जनसंख्या में अधिकांश झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के लोग हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों

के अलावा, बंगाली, मारवाड़ी और पंजाबी भी धनबाद में बसे है।

धनबाद में कई ऐसे पिकनिक स्पॉट हैं जहां जाकर आप सुकून के पल बिता सकते हैं।

 निरसा के चिरकुण्डा में स्थित पानर्रा बहुत खूबसूरत जगह है। स्थानीय लोगों की ऐसी मान्यता

है कि पांच पाण्डवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय यहां बिताया था।

यहां पर भगवान शिव को समर्पित पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर भी बना हुआ है, वहीं चारक-खुर्द अपने गर्म पानी

के झरनों के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। तोपचांची तालाब के पास बेहतरीन पिकनिक का आंनद लिया जा सकता है।

यह तालाब लगभग 214 एकड़ में फैला हुआ है। पंचेत में पर्यटक पंचेत बांध देख सकते हैं।

इस बांध के पास एक सुन्दर शहर भी बसा दिया गया है। पंचेत की सैर करने के बाद पर्यटक मैथन घूमने जा सकते हैं।

यह अपने बांध और पनबिजली संयंत्र के लिए जाना जाता है। इन दोनों के अलावा जमाडोबा की सैर की जा सकती है।

जमाडोबा में जल आपूर्ति संयंत्र लगाया गया है जिससे धनबाद को जलापूर्ति की जाती है।

धनबाद से 30 किलोमीटर दूर सिंदरी अपने खाद कारखाना के लिए प्रसिद्ध है।

शहर के बारे में तो हमने जान लिया अब चलिए यहाँ के लज़ीज़ पकवान का भी ज़ायका लिया जाये। 

बिहार का हिस्सा होने की वजह से लिट्टी चोखा का ज़बरदस्त स्वाद आप ले सकते हैं इसके अलावा

यहाँ बंगाली समुदाय भी है तो लाज़िमी है माछेर झोल का भी अपना मज़ा है। इसके अलावा मिठाईयां,  

ढाबे का मटन स्ट्रीट फुड का भी आप लुत्फ़ उठा सकते हैं।

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