महेश नवमी: ऐसे करें भोले बाबा की पूजा, मिलेगा वनवांछित फल

रांची : महेश नवमी- ऐसे करें भोले बाबा की पूजा- हिंदू धर्म में

महेश नवमी व्रत और पूजन का विशेष महत्त्व है.

हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी का व्रत रखते हैं.

महेश नवमी भगवान शंकर और माता पार्वती को समर्पित मानी गई है.

इस बार महेश नवमी का व्रत और पूजन 9 जून किया जाएगा.

मान्यता है कि इस पावन दिन पर व्रत रखते हुए भगवान शिव और

माता पार्वती के पूजन से सारी मनोकामना पूरी होती है.

भोलेनाथ भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं.

भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर भक्तों को मनवांछित वरदान देते हैं.

महेश नवमी 2022 व्रत शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 8 जून दिन

बुधवार को सुबह 8 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगी.

नवमी तिथि 9 जून को सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगी.

व्रत उदया तिथि में रखने की परंपरा है. इसके अनुसार महेश नवमी व्रत और पूजन 9 जून को है.

महेश नवमी पूजा विधि

इस दिन स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए. महेश नवमी पर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करना उत्तम माना गया है. इसके साथ ही इस दिन भगवान शिव की प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए. शिव चालीसा, शिव मंत्र और शिव आरती का पाठ करना चाहिए. विधि पूर्वक पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करते हैं.

महेश नवमी की कथा

पौराणिक कथा अनुसार, एक राजा खडगलसेन थे, जिनको कोई संतान नहीं थी. काफी कठिन तप करने के बाद उनको एक पुत्र हुआ. उसका नाम सुजान कंवर रखा गया. ज्योतिषाचार्य और ऋषियों ने राजा को बताया कि आप अपने पुत्र को 20 साल तक उत्तर दिशा में न जाने दें.

समय के साथ जब राजकुमार बड़े हुए, तो वे एक दिन शिकार खेलने जंगल में गए. उस दिन वे भूलवश उत्तर दिशा में चले गए, जहां पर ऋषि मुनि तपस्या रहे थे. सैनिकों ने राजकुमार को काफी रोकने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने.

किसी कारणवश ऋषि मुनि की तपस्या भंग हो गई, जिसकी वजह से वे अत्यंत क्रोधित हो गए. उन्होंने रा​जकुमार सुजान कंवर को श्राप दे दिया, जिससे वे पत्थर की मूर्ति में बदल गए. उनके साथ गए सैनिक भी पत्थर के हो गए. अन्य एक कथा में कहा जाता है कि ऋषि ने वंश खत्म होने का श्राप दिया था.

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