रांची : मां कालरात्रि की पूजा – आज नवरात्रि का सातवें दिन हैं.
आज के दिन सिद्ध स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा की जाती है.
यह पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा से
भूत – बाधाओं से मुक्ति मिलती है, वहीं मंत्रों के जाप करने से सभी प्रकार के दुःख दर्द दूर हो जाते हैं
मां कालरात्रि को सभी सिद्धियों की देवी केरूप में भी जाना जाता है,
इसलिए आज के दिन तंत्र – मंत्र से माता की पूजा की जाती है.
शास्त्रों में इस बात का भी वर्णन मिलता है कि माता कालरात्रि के मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करने से
भूत – बाधाओं से मुक्ति मिलती है और घर से इस प्रकार की नकारात्मक शक्तियां भाग जाती हैं.
जानिए माता कालरात्रि का स्वरूप, पूजा विधि और, मंत्र.
इस मंत्र का करें जाप
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
स्तोत्र मंत्र का करें जाप
हीं कालरात्रि श्रींकराली चक्लींकल्याणी कलावती । कालमाताकलिदर्पध्नीकमदींशकृपन्विता ।।
कामबीजजपान्दाकमबीजस्वरूपिणी । कुमतिघन्कुलीनार्तिनशिनीकुल कामिनी ।।
क्लीं हिं श्रींमंत्रवर्णेनकालकण्टकघातिनी । कृपामयीकृपाधाराकृपापाराकृपागमा ।।
माता कालरात्रि का स्वरूप
शास्त्रों में बताया गया है कि माता कालरात्रि के तीन नेत्र और चार भुजाएं हैं.
प्रत्येक हाथों में मां ने वरद मुर्दा, अभयमुद्रा, लोहे के धातु से बना कांटा, और तलवार धारण किया है.
मां गधे पर सवार होकर अपने भक्तों की प्रार्थना सुनने आती हैं. माता को गहरा नीला रंग सर्वाधिक प्रिय है.
माता कालरात्रि पूजा विधि (Mata Kalratri Puja Vidhi)
नवरात्र महापर्व के सप्तमी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान – ध्यान करें और पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करें. इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से सिक्त करें. फिर मां को फूल, सिंदूर, कुमकुम, रोली, अक्षत इत्यादि अर्पित करें. माता कालरात्रि को नींबू से बनी माला अर्पित करें और गुड़ से बनें पकवान का भोग लगाएं. इसके बाद घी का दीपक जलाएं और मंत्रों का जाप करें. फिर मां कालरात्रि की आरती उतारें. आरती से पहले दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बिलकुल ना भूलें. आरती के बाद माता से अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें.