रांची: झारखंड की राजधानी रांची अब सिर्फ शैक्षणिक और प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र नहीं रही, बल्कि अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी नेटवर्क का भी अड्डा बनती जा रही है। यहां तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं को चीन और हांगकांग में बैठे साइबर ठग वीडियो कॉल के जरिए ठगी की ट्रेनिंग देते हैं। यह प्रशिक्षण पूरी तरह योजनाबद्ध होता है, जिसमें स्क्रिप्ट, एप्लीकेशन, और तकनीकी संसाधनों की पूरी जानकारी दी जाती है।
अंतरराष्ट्रीय गिरोह का मॉडल: विदेश से नियंत्रण, रांची में क्रियान्वयन
चीन और हांगकांग से संचालित यह साइबर नेटवर्क भारतीय युवाओं को अपने साथ जोड़ रहा है। खासकर ऐसे लोग जो डिजिटल उपकरणों के इस्तेमाल में निपुण हैं। ये एजेंट रांची जैसे शहरों में बैठकर देश के विभिन्न हिस्सों में ठगी की घटनाओं को अंजाम देते हैं—वो भी लाइव निर्देश के साथ।
प्रशिक्षण वीडियो कॉलिंग प्लेटफॉर्म के जरिए होता है, जिसमें एजेंट को फिशिंग तकनीक, फर्जी वेबसाइट निर्माण, एपीके इंस्टॉलेशन और बैंक खातों की हैकिंग जैसे काम सिखाए जाते हैं।
टेलीग्राम से भेजते हैं APK ऐप, जिससे शुरू होती है ठगी
ठग अपने भारतीय एजेंटों को टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड माध्यमों से एक खास एपीके फाइल भेजते हैं। यह फाइल एक बार मोबाइल में इंस्टॉल होते ही डिवाइस के भीतर मौजूद बैंक डिटेल्स, मैसेज, ओटीपी और कॉन्टैक्ट्स तक पहुंच बना लेती है। इसके बाद पीड़ित के खाते से पैसा गायब कर दिया जाता है।
कमीशन आधारित मॉडल: जितनी ठगी, उतनी कमाई
यह नेटवर्क पारंपरिक नौकरी जैसा नहीं, बल्कि ठगी पर आधारित कमीशन मॉडल पर चलता है। जितनी अधिक राशि एजेंट ठगता है, उतनी अधिक हिस्सेदारी उसे मिलती है। यही वजह है कि एजेंट लगातार स्किल अपग्रेड करने और अधिक लोगों को फंसाने की कोशिश में रहते हैं।
म्यूल खातों का इस्तेमाल, विदेशों में होती है निकासी
भारत में की गई साइबर ठगी से जो पैसा निकलता है, वह सीधे विदेश नहीं भेजा जाता। पहले उसे देश के अलग-अलग हिस्सों में बनाए गए म्यूल बैंक खातों में डाला जाता है। फिर इन खातों के जरिए राशि को धीरे-धीरे विदेशी खातों में ट्रांसफर किया जाता है।
यदि किसी बैंक खाते में फॉरेन रेमिटेंस की सुविधा हो या अंतरराष्ट्रीय डेबिट कार्ड हो, तो इस राशि की निकासी विदेशों में बहुत आसानी से हो जाती है।
रांची की एनआरआई महिला से ₹29 लाख की ठगी
एक उदाहरण में सामने आया कि अमेरिका में रहने वाली एक एनआरआई महिला से चीन-रांची नेटवर्क ने मिलकर ₹29 लाख की साइबर ठगी की। महिला को एक बिजनेस इन्वेस्टमेंट स्कीम का झांसा दिया गया और फिर बैंक डिटेल्स हासिल कर ठगी को अंजाम दिया गया।
डिजिटल सुरक्षा की अपील: APK से सतर्क रहें
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि लोग अनजान स्रोत से आने वाली किसी भी एपीके फाइल को डाउनलोड न करें। मोबाइल की सेटिंग्स में ऑटो डाउनलोड मोड को बंद कर दें और किसी भी संदिग्ध लिंक या कॉल से बचें।
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