रांची: इस साल राखी पर्व पर झारखंड के डाकघर बहनों की राखियां भाइयों तक पहुंचाने में नाकाम रहे। वजह रही 21 जुलाई से लागू किया गया नया आईटी-2.0 सॉफ्टवेयर, जिससे डाकघरों का कामकाज धीमा हो गया। कई छोटे डाकघरों के कर्मचारी अभी तक सॉफ्टवेयर के साथ पूरी तरह से सहज नहीं हो पाए हैं। सर्वर डाउन और लिंक फेल होना अब आम समस्या बन गई है।
झारखंड कूरियर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम मित्तल के अनुसार, रांची से हर साल लगभग एक लाख राखियों के लिफाफे डाक के जरिए देशभर में भेजे जाते हैं, लेकिन इस बार कामकाज की धीमी रफ्तार के कारण करीब 50 हजार राखियां कूरियर सेवाओं से भेजनी पड़ीं। कूरियर से बाहर भेजने में डाकघर की तुलना में दोगुना खर्च — 50 रुपये के बजाय 100 रुपये — आया। हालांकि, कूरियर सेवाओं की पहुंच गांवों तक न होने के कारण कई ग्रामीण क्षेत्रों में राखियां नहीं पहुंच सकीं।
जीपीओ में लंबी कतारें, सर्वर डाउन से निराशा
रांची जीपीओ में काउंटर पर लोगों की लंबी कतारें दिखीं, लेकिन कर्मियों की अनुपस्थिति और सर्वर डाउन के कारण काम ठप रहा।
ममता सिंह (बूटी मोड़): “चार दिन से पटना में भाई को राखी भेजने के लिए जीपीओ आ रही हूं, लेकिन हर बार घंटों लाइन में लगने के बाद भी सर्वर डाउन की वजह से राखी नहीं भेज पाई।”
आकाश कुमार (कोकर): “छोटे पोस्ट ऑफिस से राखी भेजना असंभव हो गया है। जीपीओ आया तो यहां भी काम बंद था, अब समय पर राखी पहुंचना मुश्किल है।”
स्वाति तिवारी (किशोरगंज): “सोमवार से गढ़वा में भाई को राखी भेजने आ रही हूं। हर बार लिंक फेल बताया गया। गुरुवार को एक घंटे इंतजार के बाद बुकिंग हो सकी।”
डाक विभाग का जवाब
रांची डिवीजन के सीनियर सुपरिटेंडेंट आरके सिन्हा ने स्वीकार किया कि सर्वर स्लो होने की समस्या रही, जिसका मुख्य कारण चेन्नई में स्थित मेन सेंटर में एक्टिविटी थी। उन्होंने दावा किया कि “सभी गड़बड़ियां दुरुस्त कर दी गई हैं, जल्द ही सिस्टम पूरी तरह सुचारु रूप से चलेगा और जनता को बेहतर सेवा मिलेगी।”