डिजीटल डेस्क : Manipur में NDA की बैठक में नहीं शामिल हुए 11 विधायक, राजनीतिक अस्थिरता के भी संकेत। मणिपुर में फिर से सुलगी हिंसा के बाद बिगड़ते हालात पर काबू पाने में राज्य सरकार की नाकाबिलियत का आरोप लगाते हुए एनपीपी की ओर से समर्थन वापसी की घोषणा के बाद से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल भी बनने लगा है।
तेजी से बदलते सियासी और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर विमर्श करने के लिए केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के कहने पर बीते सोमवार की शाम इंफाल स्थित सचिवालय में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बैठक बुलाई थी।
उस बैठक में NDA के 27 विधायक भले ही पहुंचे लेकिन 11 विधायक नहीं पहुंचे। बैठक में गैरहाजिर रहने वाले 6 विधायकों ने अपनी अस्वस्थता को वजह बताया तो 5 ने कोई कारण ही नहीं बताया।
Manipur में सत्ताधारी NDA के विधायकों के भी सुर अलग-अलग
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह अध्यक्षता में हुई इस अहम बैठक से Manipur के फिर से हिंसा की चपेट में आने के बाद से बदले सियासी हालात का साफ संकेत दिया है। इस बैठक में पहुंचने वाले NDA के विधायकों के सुर भी आपस में पूरे मामले में सरकार के रुख को लेकर अलग-अलग रहे।
इस बैठक के रहे नतीजे ने केंद्रीय भाजपा को भी चौंकाया है लेकिन भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पूरे मामले पर गंभीरता से मंथन करने के बाद आगे कोई कदम उठाना तय किया है।
हालांकि इस बारे में मोटे तौ पर भाजपा नेतृत्व में चुप्पी धारण कर ली है और केंद्रीय शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर या केंद्रीय गृह मंत्री के स्तर पर ही कोई टिप्पणी किए जाने के संकेत हैं।
Manipur में NDA की बैठक में दो मसले पर बनी विधायकों के बीच गहमागहमी के हालात
Manipur की राजधानी इंफाल स्थित राज्य सचिवालय में सोमवार सायं 6 बजे से शुरू हुई मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की अध्यक्षता वाली NDA की बैठक में दो मसलों विधायकों के बीच खुलकर गहमागहमी वाले हालात बने।
असल में बैठक में शामिल होने पहुंचे विधायकों का मिजाज ताजा हालात पर उनके यहां के जनता के मिजाज का झलक देखने को मिला। अपने-अपने वोटरों के मिजाज के अनुरूप ही NDA की इस बैठक में विधायकों ने अपनी राय रखी।
अधिकांश विधायकों की पुरजोर मांग यही रही कि कुकी विद्रोहियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएं। साथ ही मैतेयी बहुल इंफाल घाटी के 6 थाना इलाकों में सैन्यबलों को मुहैया आफस्पा वाली शक्तियां वापस लिए जाने की मांग अधिकांश विधायकों ने मुखरता से बैठक में रखी। इन दो मसलों पर वे शांत होने का नाम नहीं ले रहे थे।
NDA घटक दल विधायकों ने चेताया – तय समयसीमा में दो मांगें केंद्र ने नहीं मानी तो राहें जुदा होंगी…
बैठक में शामिल विधायकों में से अधिकांश ने इन्हीं 2 मांगों पर अपना फोकस रखते हुए आखिरकार चेताने वाले लहजे में NDA नेतृत्व और केंद्र सरकार के लिए भी अपनी राय खुलकर रख दी।
इन विधायकों ने कहा कि एक तय समयसीमा के भीतर केंद्र सरकार इन दोनों मांगों को मानते हुए तदनुसार कार्रवाई करना सुनिश्चित करे, अन्यथा की सूरत में न केवल घटक दल विधायक वरन अन्य विधायक भी अपने क्षेत्र की जनता के मनोदशा और विचारों के अनुरूप अपने सियासी भविष्य की राह तय करने को विवश होंगे।
फिर से सुलगी हिंसा के क्रम में एक के बाद एक चुन-चुनकर विधायकों के घरों पर हो रहे हमले पर बैठक में भाग लेने वाले जनप्रतिनिधियों ने गंभीर चिंता जाहिर करते हुए तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की।
Manipur में बहुमत का मैजिक नंबर होने के बाद भी बैठक के इनपुट ने भाजपा नेतृत्व के लिए बढ़ा दी परेशानी…
Manipur में बीते शाम को संपन्न हुई NDA घटक दलों के विधायकों की बैठक संबंधी मिले इनपुट ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को परेशानी में डाल दिया है। हालांकि, Manipur में भाजपा के पास विधायकों के बहुमत वाले आंकड़े के लिए जरूरी मैजिक नंबर भले ही है लेकिन ताजा बदले जमीनी हालातों के मद्देनजर विधायकों के बदलते सुर खासे चिंताजनक हैं।
कुल 60 सीटों वाले Manipur विधानसभा में भाजपा के 37 विधायक हैं जबकि बहुमत के लिए राज्य में जरूरी संख्या 31 है। इसके अलावा एनपीएफ के 5 विधायक, 3 निर्दलीय और एक जदयू विधायक Manipur की NDA सरकार के पाले में हैं। लेकिन इन कुल विधायकों में से आधे से अधिक के सुर इस समय बदले हुए हैं जिसने भाजपा नेतृत्व को अंदर से हिलाकर रख दिया है।
ताजा हिंसा के घटनाक्रमों के बाद से Manipur में 7 कुकी विधायकों के सुर लगातार अलग ही सुनाई दे रहे हैं। सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए वे मैतेयी बहुल इंफाल घाटी में विधानसभा की कार्यवाही तक में भाग नहीं ले रहे।
दूसरी ओर, मैतेयी विधायक राज्य और केंद्र सरकार पर लगातार कुकी विद्रोहियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का दबाव बनाए हुए हैं। मैतेयी विधायकों का खुलकर कहना है कि राज्य और केंद्र सरकार कुकी विद्रोहियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करती तो Manipur फिर से न सुलगता और न ही नए सिरे से लोगों की हत्याएं होतीं।