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केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह 10 सितंबर को बिहार के पटना में ‘सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सुरक्षित पंचायतों पर राष्ट्रीय कार्यशाला’ की अध्यक्षता करेंगे। केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग के सहयोग से 10-12 सितंबर के दौरान सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायतों के विषय पर पटना में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में 29 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के 800 से अधिक प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है
पटना: केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह मंगलवार को बिहार के पटना स्थित ज्ञान भवन, सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर में सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायतों के विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करेंगे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 10 सितंबर को ‘सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायतों पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला’ का उद्घाटन करेंगे।
इस अवसर पर पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो एस पी सिंह बघेल, बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता, बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी, पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज और बिहार सरकार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीना भी उपस्थित रहेंगे।
पंचायती राज मंत्रालय द्वारा बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग के सहयोग से 10 से 12 सितंबर के दौरान पटना में इस राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को स्थानीयकृत एसडीजी के 9 विषयों में एकत्रित करके पंचायतों के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों को स्थानीयकृत करने की मंत्रालय की पहल का एक हिस्सा है, जो जमीनी स्तर पर अधिक प्रासंगिक हैं।
कार्यशाला “थीम 7: सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायतें” पर आधारित है, जो स्थानीयकृत एसडीजी के इन 9 विषयों में से एक है। एलएसडीजी का यह विषय अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कल्याण पर जोर देते हुए एक गांव के समग्र विकास पर केंद्रित है।
कार्यशाला विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाएगी, जो समाज को अधिक समावेशी, समतापूर्ण और न्यायपूर्ण बनाने के लिए काम कर रहे हैं तथा जरूरतमंद लोगों की देखभाल के लिए सामाजिक सुरक्षा तंत्र भी विकसित कर रहे हैं। कार्यशाला विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाएगी कार्यशाला में देश भर से 800 से अधिक प्रतिभागी भाग लेंगे, जिनमें पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधि, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी, एनआईआरडीएंडपीआर, एसआईआरडीएंडपीआर, पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान, गैर-सरकारी संगठन, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां शामिल हैं।
थीम 7: सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायतों पर अनुकरणीय कार्य प्रणालियों वाले पंचायतों को भी वीडियो फिल्म प्रस्तुति के माध्यम से जमीनी स्तर पर सामाजिक सुरक्षा और इक्विटी सुनिश्चित करने के विभिन्न पहलुओं में अपने अनुभव और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करने के लिए इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में आमंत्रित किया गया है। विभिन्न अभिनव मॉडलों के माध्यम से वंचित समूहों के मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और गैर-सरकारी संगठन भी अपने अनुभव साझा करेंगे।
यह कार्यशाला न केवल निर्वाचित प्रतिनिधियों (ईआर) को अपने कार्यों को प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रीय मंच प्रदान करेगी, बल्कि अन्य प्रतिभागियों के लिए एक क्रॉस लर्निंग अवसर के रूप में भी काम करेगी और पंचायती राज संस्थाओं के क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण में योगदान देगी। ग्राम पंचायतों को संवैधानिक रूप से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, दिव्यांग जनों, बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों, संकटग्रस्त प्रवासियों, ट्रांसजेंडर आदि जैसे कमजोर और हाशिए पर पड़े समूहों के कल्याण के लिए योजनाएं तैयार करने और उन्हें लागू करने का अधिकार दिया गया है।
कार्यशाला के दौरान खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत बुनियादी सेवाओं तक पहुंच में सुधार, बाल एवं महिला कुपोषण एवं मृत्यु दर में कमी लाने, बुजुर्गों के लिए भौतिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाने, बच्चों के लिए शिक्षा सहायता में सुधार लाने, महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम करने, ग्रामीण आजीविका के अवसरों में सुधार लाने, दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) के लिए सेवाओं में सुधार लाने, आवास एवं अन्य बुनियादी सेवाओं तक पहुंच, पेंशन सहित सभी पात्र लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की पहुंच और ट्रांसजेंडर सहित विशेष श्रेणी के लिए सेवाओं के समावेशन एवं संवर्धन जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।
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