रांची: हजारीबाग में एनटीपीसी के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान कथित रूप से हुए भूमि-मुआवजा घोटाले की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
इस सम्बंध में प्रार्थी मंटू सोनी के वकील अभिषेक कृष्ण गुप्ता और राहुल मिश्रा ने सीबीआई और राज्य सरकार द्वारा जवाब दाखिल नहीं किए जाने की बात कोर्ट के सामने रखी। उसी प्रतिकूलता में, ईडी के वकील अमित दास ने बताया कि ईडी द्वारा प्रारंभिक जांच शुरू की गई है।
इस विवाद के समर्थन में और खिलाफी में दोनों पक्षों की वकालत के बाद, हाईकोर्ट ने सीबीआई और राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर उत्तर देने का आदेश दिया है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन ने संबंधित मामले की विचारधारा को सुना।
बताया जाता है कि हजारीबाग में भूमि-मुआवजा से संबंधित गड़बड़ियों के प्रकट होने के बाद, 2016 में तत्कालीन उपायुक्त मुकेश कुमार की मांग पर, राज्य सरकार ने पूर्व-आईएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय टीम की गठान की थी।
इस टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि लगभग 3000 करोड़ रुपये के भूमि मुआवजा घोटाले की घटना घटी थी, जिसमें औपचारिक तौर पर 300 करोड़ रुपये का मुआवजा विभाजित किया गया था।
प्रार्थी के मुताबिक, राज्य सरकार ने अब तक केवल एनटीपीसी के प्रबंध निदेशक और हजारीबाग उपायुक्त को मामले के संदर्भ में पत्र लिखा है, और किसी भी कार्रवाई की जानकारी नहीं दी है।
जानकारी के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि कई रसूखदारों ने सरकारी गैर मजरुआ खास-आम भूमि, सार्वजनिक उपयोग की जाने वाली जमीन, श्मशान घाट, स्कूल, मैदान आदि जगहों की जमीनों के दस्तावेज़ों में फर्जीवाड़े करके मुआवजे की विधिमान वितरण का चक्कर चलाया गया था।